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क्या है ज्योतिष का सम्मोहन !

हम सबको आकाश की ओर देखना कितना अच्छा लगता है न! खासतौर पर रात के समय, जब आकाशगंगा नीली से काली सितारों वाली चुनरी ओढ़कर आती है और दूर से चांद संग सितारे जगमगा रहे होते हैं। लगातार देखने पर यूं महसूस होता हैं जैसे वो हमें ही निहार रहे हैं और हमसे ही बातें करना चाह रहे हैं या फिर हमारी सुरक्षा के लिए वो किसी सेना की तरह तैनात हैं ताकि जब हम सो जाएं तो वे सारी रात हमारी रखवाली करें।

उस समय का नज़ारा तो और भी अद्वितीय हो जाता है जब आसमान में बादल छा जाते हैं, और बरखा मीठी फूहार और ठंडी हवा के साथ छम-छम व साय साय की आवाज़ करती गुनगुना रही होती है। कितना ही सुखद व मन को मोहने वाला अहसास होता है न! वो पल कुछ समय के लिए ही सही लेकिन एक खूबसूरत अहसास दे जातें हैं जब हम अपनी हरेक दुख-तकलीफ को भूलकर सिर्फ आकाश, बादल और बरखा के सम्मोहन में कैद हो जाते हैं।
ठीक वैसे ही अनगिनत सदीयों से ब्राह्मांड, तारे, ग्रह, नक्षत्रों के साथ हमारा नाता रहा है और आकाश, बादल, बरखा, सावन, ऋतुएं समय-समय पर अपने सम्मोहन से हमारी ज़िंदगियों को प्रभावित करती आईं हैं और शायद इन्हीं ब्रह्मांडीय उर्जाओं की वजह से मनुष्य उनकी ओर आकर्षित हुआ और उन्हें जानने, सोचने व समझने के लिए प्रेरित हुआ। जिससे विज्ञान व ज्योतिष शास्त्र की उत्पत्ति हुई।

हमें जब भी ज्योतिष शास्त्र के बारे में जानने की जिज्ञासा होती है तब सबसे पहले हमारा ध्यान आकाश की ओर चला जाता है। कई बार दूर से अपनी रोशनी से सारें संसार को रोशन कर रहे सूर्य को देखकर आपके मन में कहीं न कहीं ये सवाल भी उठता होगा कि कैसे सूर्य, चांद, ग्रहों व सितारों से हमारी किस्मत जुड़ सकती है ? प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और खगोलीय पिण्डों का अध्ययन करने के विषय को ही ज्योतिष कहा गया था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन सबकी चाल हमारी ज़िंदगियों को प्रभावित करती हैं। हम सब इनकी पूजा-आराधना भी करते हैं। अपनी राशि के अनुसार अपने ग्रहों की स्थिती को उच्च करने के लिए या कमज़ोर ग्रह को मज़बूत करने के लिए कई तरह के पाठ-पूजन, व्रत, तप करते हैं। कई तरह के नग धारण करते हैं ताकि वे हम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें।

वैसे ज्योतिष शास्त्र की मूल अवधारणा नौ ग्रहों पर टिकी हुई है। इनमें सात ग्रह मुख्य मानें जाते हैं व दो छाया ग्रह कहलाते हैं। इनमें से सूर्य ग्रहों का राजा है, चंद्रमा मंत्री, बुध मुंशी, बृहस्पति गुरु, शुक्र पुरोहित, शनि राजपुत्र और छाया ग्रह राहु, केतु अछूत है। धरती पर प्रकाश का मुख्य आधार सूर्य है इसलिए सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है व उसी को आधार मानकर समय की गणना की जाती है।

ज्योतिष ज्ञाताओं के अनुसार आकाश में विद्यमान खगोलीय पिंड भविष्य की रूपरेखा प्रदान कर सकते हैं व मनुष्य को अपनी चाल के अनुसार प्रभावित करते हैं, इसी परिकल्पना ने मानवजाति को अनंतकाल से सम्मोहित किया है। आज हमारा खान-पान, रहन-सहन, शादी-ब्याह, आर्थिक, सामाजिक, राजनीति व चिकित्सा आदि से संबंधित सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने तक ज्योतिषशास्त्र का हमारे जीवन में इतना महत्वपूर्ण स्थान बन गया है यदि हम न भी चाहें तो भी हम अपनी ज़िंदगी से नहीं निकाल सकते बस सम्मोहित ही हुए जा रहे हैं।