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इतना अद्वितीय क्यों है हाटू मंदिर !

हिमाचल प्रदेश अपनी अद्वितीय खूबसूरती के लिए विश्व प्रसिद्ध तो है ही लेकिन इस देवभूमि में कई ऐसे स्थान भी हैं जो अत्यंत प्राचीन हैं। जिनके पीछे एक लबा इतिहास और कई तरह की मानयताएं प्रचलित है। ऐसा ही एक स्थान है हाटू मंदिर जो कि समुद्र तल से 12000 फूट ऊंचा स्थित है व शिमला की सबसे ऊंची चोटी है। जिसकी खूबसूरती अदभुत व अविस्मरणीय है। जो कि स्थित है शिमला के नारकंडा हिल स्टेशन पर, जहां से हाटू मंदिर की दूरी करीब 5 कि.मी. है। रास्ता काफी तंग और घुमावदार है लेकिन आसपास का नज़ारा मन को मोहने वाला है। चीड़ और देवदार के पेड़, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ यहां आने वालों की उत्सुक्ता और बढ़ा देते हैं। इस मंदिर के बारे में कई करह की मान्यताएं प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि रावण की रक्षा के लिए उनकी पत्नी मंदोदरी ने ही हाटू माता मंदिर बनवाया था। जहां वो रोज़ पूजा करने आया करती थी।

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ऐसी भी मान्यता है कि पांडव भी अपने अज्ञातवास के समय यहां कुछ समय के लिए रहे थे और हाटू माता का एक मंदिर भी बनवाया था। हाटू में हर ज्येष्ठ माह के पहले रविवार से पूरे माह तक मेला लगता है। लोग दूर-दूर से मेला देखने आते हैं और हाटू माता की बड़ी ही भक्तिभाव से पूजा करते हैं।

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इस मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है। ये मंदिर सारा लकड़ी से बना हुआ है। जिस पर की गई कारीगिरी मंदिर की और भी शोभा बढ़ा देती है। हाटू जहां धार्मिक दृष्टि से प्रदेशभर में विख्यात हैं, वहीं पर्यटन की दृष्टि से हाटू देश-विदेश में विश्वविख्यात है। हाटू में अप्रैल से नवम्बर माह तक देशी व विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है।

अगर आप भी शिमला घूमने जाएं तो हाटू मंदिर जाना न भूलें।