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इस वीकेंड पर मसूरी आ रहे हैं क्या ?

अब तक अगर आप मसूरी घूमने नहीं गए हैं तो इसबार वीकेंड पर ज़रूर मसूरी घूमने का मन बनाइए। ये देहरादून से 35 कि.मी.और दिल्ली से करीब ढाई सौ कि.मी. की दूरी पर स्थित है। रास्ता भले ही काफी घूमावदार है लेकिन सड़कें साफ-सुथरी और आसपास कुदरती खूबसूरती लिए हुए हैं, हो भी क्यों न क्योंकि पहाड़ों की रानी कहा जाने वाला शहर मसूरी एक पर्वतीय पर्यटन स्थान है जो कि हिमालय पर्वतमाला की शिवालिक श्रेणी में पड़ता है। जिसके एक ओर गंगा नज़र आती है और दूसरी ओर यमुना। वीकेंट पर आप इस स्थान पर काफी भीड़ भी देख सकते हैं खासतौर पर बाईकर्स की। तथ्यों के अनुसार मसूरी को 1825 में कैप्टन यंग, एक ब्रिटिश मिलिट्री अधिकारी, देहरादून के एक निवासी और एक अधीक्षक ने खोजा था।  तब से अब तक मसूरी अपनी खूबसूरती से पर्यटकों को अपनी ओर खींचता चला आ रहा है। यहां पर पर्यटन बहुत ज्यादा आता है।

तथ्यों के अनुसार इसे गंगोत्री, यमुनोत्री उत्तर भारतीय तीर्थ स्थलों का प्रवेशद्वार कहा जाता है। शाम ढलते ही दूर से मसूरी शहर झिलमिलाता नज़र आता है। शाम को यहां का नज़ारा देखने लायक होता है क्योंकि मौसम का मिजाज़ कुछ ठंडा और सुहावना हो जाता है जो कि सारे वातावरण को खुशनुमा बना देता है।

मसूरी में खरीदारी के लिए माल रोड काफी फेमस है जहां शाम से ही अच्छी खासी पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है। यहां दूर-दूर से घूमने आए पर्यटक जगह-जगह पर लगे मैगी, नूडल्स, ऑमलेट और तरह-तरह के स्नैक्स के स्टाल्स पर चटकारे लगाते और गप्पे लड़ाते नज़र आएंगे।

घूमने के लिहाज़ से यहां मार्च से नवंबर तक का समय काफी अच्छा है लेकिन जुलाई से सितंबर तक यहां वर्षा ऋतु आपको परेशान कर सकती है क्योंकि कई जगह रास्ते फिसलन भरे भी हैं और सारा इलाका बादलों में घिरा रहता है जिस वजह से पहाड़ साफ दिखाई नहीं देते।

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यहां पर पर्यटकों के लिए देखने लायक कई आकर्षक स्थान है। जो भी यहां घूमने आता है वो गनहिल ज़रूर जाता है। जो कि मसूरी कि दूसरी सबसे ऊंची चोटी है जिस पर रोपवे से जाने में बहुत मज़ा आता है। वैसे पैदल भी जाया जा सकता है लेकिन समय 20 मिनट लगेंगे। इसका नाम गन-हिल पड़ने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है दरअसल आज़ादी से पहले इस पहाड़ी के ऊपर रखी तोप प्रतिदिन दोपहर को चलाई जाती थी ताकि लोग अपनी घड़ियां सैट कर लें, इसी कारण इस स्थान का नाम गन हिल पड़ा। म्युनिसिपल गार्डन, तिब्बती मंदिर, चाइल्डर्स लॉज, कैमल बैक रोड, झड़ीपानी फाल, भट्टा फाल जैसे स्थान भी ज़रूर देखने जाएं।

कैम्पटी फाल देखने भी ज़रूर जाएं। बच्चों के मनोरंजन के लिए ये एकदम सटीर स्थान है। ये स्थान मसूरी से 15 कि.मी. दूर है व यमुनोत्री रोड पर स्थित है। ये झरना सबसे बड़ा और बेहद खूबसूरत है जो कि समुद्रतल से 4500 फुट की ऊं. पर है। इसकी खूबसूरती का कारण ये भी है कि ये कई धाराओं में बहता है और पहाड़ों से घिरा हुआ है। इसकी तलहटी पर स्नान करना एक अदभुत आनंद दे जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अंगरेज अपनी चाय की दावत अकसर यहीं पर किया करते थे, इसीलिए तो इस झरने का नाम कैंपटी (कैंप+टी) फाल है।

कैम्प्टी फॉल के पास ही कैम्प्टी झील भी है। काफी तादाद में लोग यहां अपने परिवार के साथ अपनी छुट्टी का आनंद लेने आते हैं। यहां नौका विहार और टॉय ट्रेन की सुविधा बच्चों को खासा लुभाती है। इसलिए यहां बहुत से लोग पिकनिक मनाने भी आते हैं ताकि बच्चे अच्छे से मौज-मस्ती कर सकें। इसके अलावा नाग देवता मंदिर, मसूरी झील, वाम चेतना केंद्र, ज्वालाजी मंदिर (बेनोग हिल) भी देखने लायक स्थान हैं।

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आख़ीर में हम यही कहना चाहेंगे कि मसूरी जाते समय इस बात का भी ख्याल ज़रूर रखें कि ये पर्यटन स्थल आपके लिए ही हैं। कुदरत ने प्रकृति को इतना खूबसूरत हमारे लिए ही बनाया है इनका ख्याल भी हमें ही रखना है। इसलिए जब भी जाएं गंदगी न तो खुद फैलाएं और न ही अपने परिवार को फैलाने दें।