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उर्दू के अज़ीम शायर कैफ़ी आज़मी की शायरी

उर्दू के अज़ीम शायर कैफ़ी आज़मी, जिन्होंने अपनी शायरी व गीतों से अपना एक अलग मुकाम हासिल किया। उन्होंने लोगों के दिलों में उस वक्त दस्तक दी जब शायरी और ग़ज़ल की दुनियां में कुछ जाने-माने ग़ज़लकारों का बोलबाला था। कैफ़ी साहब ने हिन्दी फिल्मों के लिए भी काफी यादग़ार नग़में लिखे जिनमें देश भक्ति का ये गीत उन्हें भी अमर कर गया।

-कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।

ज़िंदगी में उन्हें काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा लेकिन फिर भी वो अपनी राह चलते ही गए। उनके कुछ शेयर आपके रूबरू हैं।

 

झुकी-झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं

दबा-दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं

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इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े

हंसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े

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अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ

वीरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गईं

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बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमां जो बस गए

इंसां की शक्ल देखने को हम तरस गए
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बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में

कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में

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गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो

डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ

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इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं

दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद
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कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले

उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है

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जिस तरह हंस रहा हूं मैं पी पी गर्म अश्क

यूं दूसरा हंसे तो कलेजा निकल पड़े