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राजपुताना गौरव एवं विरासत को समेटे खड़ा हैं ये गुलाबी नगरः जयपुर

जी हां, गुलाबी नगरी के नाम से जाना जाने वाला शहर जयपुर अपनी राजपुताना संस्कृति एवं विरासत को आज भी समेटे हुए खड़ा है। इस शहर ने राजपुताना विरासत की आन बान शान भी देखी है, बहादुरी की मिसाल कायम करने वाले कई वीर योद्धाओं को लड़ते भी देखा है, और सियासत के कई उतार-चढ़ाव भी देखें हैं। इस शहर में खड़े महल व किले उस वक्त से आज तक अपने अंदर कितनी ही कहानियां समेटे हुए खड़े हैं। उस वक्त के शाही राजपुतों के बहादुरी के किस्से जो आज गाथाएं बन चुके हैं जो आज भी राजस्थान में हर मेले व त्यौहार में गाये जाते हैं।

जयपुर में कदम रखते ही यूं लगता है मानों आप किसी रजवाड़ों के शहर में आ गएं हों। वहां के लोगों की खास रंग-बिरंगी पौशाके व बोली अपने राज्य की कला, संस्कृति एवं विरासत को बयान करती हैं। यहां पर सुंदर हवेलियों, किलों को देखकर आपका मन खुश हो जाएगा। जयपुर का अर्थ है – जीत का शहर। इस शहर को कुशवाह राजपूत राजा सवाई जय सिंह, द्वितीय ने सन् 1727 में बसाया था। ये शहर उस वक्त का पहला ऐसा शहर था जिसका निर्माण पूरे योजनाबद्ध तरीके से किया गया था। राजा सवाई ने इस पूरे नगर में गुलाबी रंग पुतवाया था तभी से इस शहर को गुलाबी नगर कहा जाने लगा था।

इस शहर में अगर आपको घूमने जाना है तो सर्दियों में ही जाएं क्योंकि कि गर्मियों में इसका तापमान 45 डिग्री तक हो जाता है। जिस वजह से आप अपना पूरा दिन एन्जॉय नहीं कर सकते। कनैक्टीविटी के लिहाज़ से बस, रेल और हवाई यातायात के अच्छे साधन उपल्ब्ध हैं।

आईए इस गुलाबी नगरी के कुछ खास स्थानों की सैर की जाए।

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हवा महल-

हवा महल जयपुर की शान है और राजपूतों का प्रमाण चिन्ह भी। इस खूबसूरत पांच मंजिला भवन को भगवान कृष्ण के प्रतिरुप के तौर पर बनवाया गया था जिसके साथ पुराने नगर की मुख्य गलियां जुड़ती हैं। इसमें बलुए पत्थर से बनाई गई 1000 छोटी खिड़कियां हैं जिससे यह एक छत्ते की तरह दिखता है। कहते हैं कि यहां से शाही औरतें शहर में हो रही हलचल, त्यौहारों के जश्न व जुलूसों को देखा करती थी। इन जालीदारनुमा खिड़कियों से गर्मियों में ठंडी हवा महल में आती है जिससे महल में गर्मियों ठंडक भी रहती है। यहां से नगर का पूरा दृश्य भी साफ दिखाई देता है। इस महल का बाहरी हिस्सा गुलाबी और लाल पत्थर से बने होने की वजह से सुबह से लेकर शाम तक अपनी खूबसूरती बिखेरता रहता है। इस महल को शाही सिटी पैलेस का हिस्सा माना जाता है और ये जनाना कक्ष तक फैला हुआ है।

 पुराना शहर-

अपने अंदर कितनी ही कहानियां समेटे अब ये पुराना शहर एक खंडहर में तब्दील हो गया हैं। लेकिन मीराबाई से जुड़ा एक कृष्ण मंदिर, भगवान नरसिंह का पुराना मंदिर, पन्ना मियां का कुण्ड एवं जगत शिरोमणि मंदिर जैसे कई अतीत की यादें समेटे ये अवशेष ही रह गए हैं। यहां एक वक्त ऐसा भी होगा जब इन अवशेषों ने यहां भीड़, चहल-पहल और रौनक भी देखी होगी। इन मंदिरों में कई पूजा- अनुष्ठान भी हुए होंगे लेकिन समय की गर्भ में इन अवशेषों में अगर बची हैं तो सिर्फ यादें।

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सिटी पैलेस-

सिटी पैलेस पुराने शहर के बीचो-बीच बड़े ही शान से खड़ा है। जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। एक समय था जब ये पैलेस राजाओं का तख्त हुआ करता था। जहां बैठकर राजा बड़े-बड़े फैसले सुनाया करते थे और आज शहर का प्रमुख लेंडमार्क भी है। इस विशाल किले के अंदर दो और किले हैं साथ ही कई भवन, आंगन, मंदिर और बाग हैं। जिन परिवारों ने पीढ़ी दर पीढ़ी राजाओं की सेवा की आगे उनके परिवार के सदस्य यहां गाइड के रूप में काम करते हैं। इस पैलेस में मुबारक महल, चंद्र महल, मुकुट महल, महारानी का महल, मंदिर है जिसमें आज भी शाही परिवार के सदस्य रहते हैं। यहां बना संग्रहालय देखने लायक है जिसमें उस वक्त की शाही पौशाकें, मुगलों व राजपूतों के हथियार हैं।

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आमेर किला-

आमेर का किला काफी मशहूर है जिसे दूर-दूर से पर्यटक देखने आते हैं इस किले को महाराजा मान सिंह ने बनवाया था जो कि वास्तुकला का एक अदभुत नमुना है। चार मंज़िला इमारत के इस किले तक पथरीले रास्ते से होकर ही जाना पड़ता है जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इस किले के बड़े-बड़े दरवाज़े हैं और ये किला लाल संगमरमर और बलुआ पत्थरों से बना हैं। इस किले में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल और सुख निवास है जिसमें गर्मी में ठंडा रखने के लिए प्राकृतिक जल प्रवाह भी बनाया गया है। किले के सिंह पोल एवं जलेब चौंक तक अकसर पर्यटक हाथी पर सवार होकर जाते हैं जहां से शिला माता के मंदिर की सीढ़ियां शुरू होती हैं। इस मंदिर की बहुत मान्यता है।

जयगढ़ किला-

जयगढ़ किला सैनिक इमारतों का एक सुंदर नमुना जिसे देखकर आप जान सकते हैं कि उस वक्त सैनिक कैसे रहा करते थे। उनके शास्त्रागार व अन्न के भंडार कैसे थे? ये किला बड़े ही सुनियोजित ढंग से प्रचीन धरोहर एवं वैभव को संभाले हुए है। महाराजा जय सिंह ने यह किला बनवाया था। जो कि जयपुर के आमेर में अरावली पहाड़ियों के एक भाग चाल का टीला में स्थित है। इस किले में महल, बगीचे, अन्न के भंडार, शास्त्रागार, तोप ढलाई घर, अनेक मंदिर, एक लंबा बुर्ज व विशाल चढ़ी हुई तोप-जिसका नाम जय बाण है जोकि देश की सबसे बड़ी तोपों में से एक है। इस किले को आमेर की सुरक्षा के लिए बनवाया गया था। एक गुप्त मार्ग से जयगढ़ किले से आमेर किले में पहुंचा जा सकता है।

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नाहरगढ़ किला-

जयगढ़ किले की पहाड़ियों के पीछे ये किला जयपुर का पहरेदार बनकर आज भी खड़ा हुआ है जहां से शहर का सुंदर नज़ारा दिखाई देता है। महाराजा सवाई जय सिंह ने इस किले का निर्माण करवाया था। इस किले में कई ऐतिहासिक घटनाएं घटी।
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जंतर मंतर-

जंतर-मंतर सिटी पैलेस से कुछ ही दूरी पर स्थित है। महाराजा जय सिंह द्वारा बनवाई गई इस वेधशाला को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा चुका है और इसमें खगोलीय उपकरणों का काफी बड़ा संग्रह है। यह महाराजा जयसिंह की पांच वेधशालाओं में सबसे विशाल है। यह वेधशाला मध्ययुग भारत के खगोल विज्ञान के उच्च सूत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। उस वक्त ये भवन खगोलीय पिंडो की जानकारी व खोज के लिए बनवाया गया था। इसमें जो सबसे प्रभावशाली यंत्र है वो है रामयंत्र, जिसे ऊंचाई नापने के ले बनाया गया था। यहां पर तारों की गणना के लिए भी कई उपकरण हैं। यहां पर सभी महत्वपूर्ण ग्रंथों की पांडुलिपियां भी मौजूद हैं।

जगत शिरोमणि मंदिर-

शाही परिवार का ये मंदिर राजा जगत सिंह की मां श्रृंगार देवी कंकावत ने बनवाया था जिसे बनने में सन् 1599 से लेकर 1608 तक, नौ साल का समय लगा। यह पश्चिम मुखी मंदिर हिंदू भगवान राधा और कृष्ण को समर्पित है और इसके भवन में गरुड़ छतरी, संगमरमर का तोरण, एक बरोठा और एक मंडप हैं जो कि सजावटी जंघ और वेदीबंध पर मौजूद हैं। इस मंदिर की खूबसूरती अभी तक बरकरार है। यहां की दीवारों, खंबों व गुंबददार छत को धार्मिक चित्रों से सजाया गया है।

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जल महल-

जल महल की खूबसूरती और वास्तुकला बेहद आकर्षक है। ये जयपुर शहर की सागर झील के बीच मौजूद है। इन दोनों को 18वीं सदी में राजा जय सिंह ने पुनर्निर्मित किया और बड़ा करवाया। इस महल की पहली मंजिल पर स्थित हॉल बड़े ही खूबसूरत तरीके से सजा हुआ है और इसके ऊपर स्थित चमेली बाग और भी सुदर तरीके से सजा है। इस झील की ड्रेनेज प्रणाली बहुत अच्छी है जो कि मछलियों को जिंदा रखने के लिए जरुरी गहराई देती है। इसमें प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मानव निर्मित पांच द्वीप बनाए गए हैं।

इसके अलावा अलबर्ट हॉल, गोविंद देवजी मंदिर, सिसोदिया रानी महल, स्टेचू सर्किल

जयपुर के आसपास कई दिलचस्प स्थान हैं जो देखे जा सकते हैं।