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राजयोग मेडिटेशन क्या हैं ? इसे सभी योगों का राजा क्यों कहां जाता है ? जानिए।

हम सबके अंदर अनन्त ज्ञान और शक्तियों का आवास होता है जिसका हमें ज्ञान नहीं होता। ये शक्तियां हमारे अंदर सुप्त अवस्था में होती हैं जिसे कुण्डलिनी शक्ति कहते हैं। खैर, यहां हम बात राजयोग मेडिटेशन की करने जा रहे हैं। इस पर भी विद्वानों के अलग-अलग विचार हैं। पुराने समय में राजयोग मेडिटेशन को योग की अंतिम अवस्था यानि समाधि को कहा जाता था लेकिन आधुनिक समय में राजयोग को सभी योगों का राजा कहा गया है क्योंकि विद्वानों का मानना है कि राजयोग में प्रत्येक प्रकार के योग के कुछ न कुछ अंश ज़रूर मिल जाते हैं। वैसे राजयोग भी मेडिटेशन से संबंधित एक तकनीक ही है जिसका रोज़ अभ्यास करने से व्यक्ति के अंदर राजा जैसी शक्ति यानि अनन्त ज्ञान व शक्ति जागृत हो जाती है। यानि राजयोग व्यक्ति के मन को एकाग्र करके से समाधि की या पूर्ण एकाग्रता की अवस्था में पहुंचा देता है। ये अपने अंदर की एक यात्रा की तरह हैं जो भीतर को जानने की एक कोशिश है। ये हमें चिंताओं से परे ले जाता है। आध्यात्मिक जागृति की वो अवस्था है जो हमें व्यर्थ के नकारात्मक भावों से दूर ले जाकर सकारात्मक बनाती है।

तब व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित करने में कामयाब हो जाता है। क्योंकि मन चंचल होता है एक ख्याल के बाद दूसरा ख्याल मन में आने लगता है, जिस पर आपका कंट्रोल कर पाना मुमकिन नहीं होता।

जो भी व्यक्ति योग साधक है और समाधि की अवस्था को पाना चाहते हैं उनके लिए राजयोग सबसे उत्तम साधना है।