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क्या सच में अप्सराएं होती थीं ? क्या शक्तियां होती थीं उनके पास ? क्या काम करती थीं ? जानिए…

इस डायलॉग को कई बार आपने फिल्मों में किसी न किसी हीरो को बोलते सुना होगा कि “तुम किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही हो”, या फिर तुम एक दम अप्सरा जैसी दिखती हो” या शायद आपने भी किसी खूबसूरत सी महिला को देखते ही मन ही मन ये डायलॉग दोहराया होगा। इंद्र दरबार और उनके दरबार की अप्सराओं का जिक्र तो कई पौराणिक कथाओं में आपने पढ़ा या सुना होगा, लेकिन क्या सच में आपने किसी अप्सरा की खूबसूरती के बारे में अंदाज़ा लगाया है कि आखिर वो कितनी खूबसूरत होती होंगी कि जिन्हें देखते ही कितनों की मतिभ्रम हो जाती थी। वो आखिर रहती कहां थी ? उनका काम क्या था ? उनका अस्तित्व था भी या नहीं ? इन सब बातों का जिक्र आते ही दिमाग में उनके बारे में एक सुंदर सी दिव्य छवि उभर आती है और उनके बारे जानने की उत्सुकता और भी बढ़ जाती है। कई स्त्रोतों से हमने अप्सराओं के बारे में तथ्य़ ढ़ूंढने की कोशिश की। आईए उनके बारे में आज कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं।

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हिन्दू धर्म के अनेक पौराणिक प्रसंगों में हमने कई बार देवलोक की प्रमुख अप्सराओं रंभा, मेनका, उर्वशी, घृताची, तिलोत्तमा, कुंडा आदि का नाम सुना होगा जिन्होंने अनेक सिद्ध पुरुषों को अपने सौंदर्य से मोहित कर उनका तप भंग किया था। उनमें से यहां ऋषि विश्वामित्र का नाम उदाहरण के तौर पर ले सकते हैं। हमारे वेदों में इनके बारे में उल्लेख मिलता है कि देवी, परी, अप्सरा, यक्षिणी इन्द्राणी और पिशाचिनी आदि कई प्रकार की स्त्रियां हुआ करती थीं। लेकिन अप्सराओं को सबसे खूबसूरत, आलौकिक और अनेक जादुई शक्ति व कलाओं में दक्ष माना जाता था और हिन्दू पुराणों में भी यक्षों, गंधर्वों और अप्सराओं का कई जगह जिक्र हुआ है, जिसमें ये भी बताया गया है कि यक्ष, गंधर्व और अप्सराएं देवताओं की इतर श्रेणी में माने गए हैं। इन सभी अप्सराओं की कई विचित्र कहानियों का जिक्र भी कहीं न कहीं आपको मिल ही जाएगा। ऐसा माना जाता है कि ये अप्सराएं गंधर्व लोक में रहा करती थी और देवलोग में नृत्य व संगीत के माध्यम से देवताओं का मनोरंजन किया करती थी। कई जगह बताया गया है कि ये इंद्रलोक में ही रहा करती थी और इंन्द्र देव के सिंहासन को बचाने के लिए कई बार इन अप्सराओं ने देव इंद्र के कहने पर कई तपस्वियों की कठोर तपस्या को भंग किया था।

आज भी कई पौराणिक गुफाओं में  विचित्र चित्र देखे जा सकते हैं जो कि किसी आम महिला को नहीं दर्शाते दिखाई दे रहें हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है मानों  वो अप्सराओं को ही दर्शा रहे हैं।

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अथर्ववेद और यजुर्वेद के अनुसार ये अप्सराएं जल में रहती हैं व अश्वत्थ व न्यग्रोथ वृक्षों पर रहती हैं, वहां वो झूले झूलती हैं और साथ ही मदुर वाद्य बजाती हैं व नाच गान, खेलकूद करना इन्हें अत्यंत प्रिय है। इन अप्सराओं की कोई उम्र सीमा नहीं हैं। ये सदैव जवां ही रहती हैं। ये अजर-अमर हैं। ये अप्सराएं पृथ्वीलोक में रहने वाले दिव्य पुरुषों, शक्तिशाली राजाओं-महाराजाओं और महान ऋषियों पर मोहित हो जाया करती थी व उनके साथ प्रेम- संबंध भी स्थापित किया करती थी लेकिन एक समय के बाद उन्हें छोड़ वापिस लौट जाया करती थी।

शास्त्रों के अनुसार इन्द्र के स्वर्ग में 11 अप्सराएं थी जो कि उनकी सेविकाएं भी थीं। उनके नाम हैः कृतस्थली, पुंजिकस्थला, मेनका, रंभा, प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, घृताची, वर्चा, उर्वशी, पूर्वचित्ति व तिलोत्तमा। कहते हैं कि इन अप्सराओं की प्रमुख व इनमें सर्वश्रेष्ठ रंभा थी। रंभा दिखने में आलौकिक सुंदरता लिए तेजस्विनी, अदभुत, प्रतिभाशाली, प्रेमकला में माहिर, जादुई शक्तियों से संपन्न और कुशल नर्तकी भी थी। रंभा के जन्म को लेकर भी मतभेद हैं कहीं जगह रंभा के बारे में लिखा है कि वो समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थी और कई जगह उल्लेख मिलता है कि वह ऋषि कश्यप और प्राधा की पुत्री थी। इस बारे में सही क्या है ये कहना मुश्किल है लेकिन इतना कई पुराणों में उल्लेख मिलता है कि रंभा अपने रूप और सौंदर्य की वजह से तीनों लोकों में प्रसिद्ध थी। महाभारत में रंभा को तुरुंब नाम के गंधर्व की पत्नी बताया गया है। कई जगह ये भी उल्लेखनिय है कि रंभा कुबेर की सभा में थी और उनके पुत्र नलकुबेर के साथ पत्नी की तरह रहती थी। इनके संबंधों पर रावण ने उनका उपहास उड़ाया था। जिस पर क्रोधित होकर नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया था कि, तू भी तूझे न चाहने वाली स्त्री से जब भी संबंध बनाने की कोशिश करेगा, तब तुझे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा। इसलिए माना जाता है कि इसी शाप की वजह से रावण माता सीता के नज़दीक तक जाने से डरता था। कई जगहों पर ये भी उल्लेख मिलता है कि रंभा के साथ रावण ने बुरा बर्ताव किया जिस वजह से रंभा ने रावण को शाप दिया था।

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अप्सराओं की संख्या के बारे में भी अनेक मतभेद हैं कईयों का कहना है कि इनकी संख्या 108 थी व कईयों का कहना है कि इनकी संख्या 1008 हैं। अप्सराओं के बारे में ये भी कहा जाता है कि ये जब किसी पर प्रसन्न हो जाया करती हैं तो उस व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी करती हैं, भोग, विलास और अदभुत वस्त्र व आभूषण देती हैं, साथ ही दिव्य रासायन देती हैं, जिसे पीकर व्यक्ति स्वस्थ और शक्तिशाली हो जाता है व लंबी आयु को प्राप्त करता है। ये अप्सराएं कई लोकों में भ्रमण भी करवाती हैं और व्यक्ति को राज्य व संपदा देकर माला माल कर देती हैं।