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छठ अनुष्ठान की पूजा विधि, जानिए

छठ व्रत पूजा विधि

ऐसा माना जाता है कि छठी माता भगवान सूर्यदेव की बहन हैं। अतः छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। इस पर्व में सूर्य देव की आराधना अनिवार्य मानी गई है। छठी मैया का ध्यान करते हुए लोग मां गंगा-यमुना या किसी नदी के किनारे इसकी पूजा करते हैं। छठ के दिन व्रत करना बहुत ही शुभ माना जाता है। कहते हैं जो कोई भी इस व्रत को पूरे भक्तिभाव व श्रद्धा से करता है वह व्यक्ति सुखी और सर्व सुखों को प्राप्त करता है। इस पर्व में पहले दिन घर की साफ सफाई की जाती है। छठ के चार दिनों तक शुद्ध शाकाहारी भोजन किया जाता है, दूसरे दिन खरना का कार्यक्रम होता है, तीसरे दिन भगवान सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन भक्त उदियमान सूर्य को उषा अर्घ्य देते हैं। खासतौर पर इस पर्व को निःसंतान व्यक्ति मनाते हैं।

छठ पूजा की विधि

छठ के दिन सूर्योदय के समय उठना हितकारी माना गया है साथ ही किसी जील, तालाब या नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान करने के पश्चात नदी के किनारे खड़े होकर सूर्योदय के समय सूर्य देवता को नमन करें और विधिवत पूजा करें।

शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सूर्य को धूप, दीप और फूल अर्पण करें।

छठ पूजा में सात प्रकार के फूल, चावल, चंदन, तिल आदि से युक्त जल को सूर्य को अर्पण करें।

सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करें “ॐ घृणिं सूर्याय नमः, ॐ घृणिं सूर्य: आदित्य:, ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा, या फिर ॐ सूर्याय नमः 108 बार बोलें।

अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं व गरीब लोगों को कपड़े, भोजन, अनाज आदि का दान करना शुभ फलदायक है।