अध्यात्म डेस्कः आपने देवी-देवताओं की मूर्तियों या तस्वीरों में सिर के इर्द-गिर्द एक गोलाकार देखा होगा, इसे आभा मण्डल कहते हैं। ऐसा नहीं है कि ये आभा मण्डल सिर्फ सिद्ध पुरुषों में ही होता था या है, ये आभा मण्डल हम सब में होता है, लेकिन फर्क सिर्फ इतना है किसी में ज्यादा होता है और किसी में कम। असल में औरा एक गोल मैग्नेटिक एनर्जी फील्ड यानि चुम्बकीय ऊर्जा क्षेत्र होता है इसे ही हम आभामंडल या औरा कहते हैं, समान्य आखों से इसे देखा नहीं जा सकता। ये आपके चारों ओर घूमती हुई सतह की तरह होता है। जिसमें ये सतहें ज्यादा होती है वो व्यक्ति अध्यात्मिक होता है।
ये औरा सात तरह की सतहों में विभाजित होता है, लेकिन ये सतहें एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई होती हैं और एक-दूसरे को प्रभावित भी करती हैं, ये औरा शरीर के चारों ओर अलग-अलग फ्रीक्वेंसी के साथ होता है। इन सतहों के नाम हैः फिजिकल, एस्ट्रल, लोअर, हायर, इन्ट्यूशनल, स्पिरिचुअल (अध्यात्मिक), इन्हें एब्सोल्यूट प्लेन कहा जाता है।
औरा की इन सभी सतहों का भी अपना अलग-अलग महत्व होता है जिससे शरीर को अलग-अलग फायदे भी मिलते हैं।
आइए जानते हैं औरा की इन सतहों के बारे में और ये कैसे हमें प्रभावित करती हैं।
पहली सतह फिजिकल औरा प्लेन: औरा की ये सतह जब हम सो जाते या आराम की मुद्रा में होते हैं तब सक्रिय होती है, ये सतह हमारे शरीर के सबसे नजदीक होती है। इस सतह को संतुलित करने के लिए हमें आराम, खुशी और अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है, लेकिन जो लोग नकारात्मक विचारों वाले होते हैं उनका फिजिकल औरा नकारात्मक हो जाता है।
दूसरी सतह एस्ट्रल औरा प्लेन: एस्ट्रल औरा प्लेन को भावनात्मक लेयर (सतह) के नाम से भी जाना जाता है इसका संबंध सीधे हमारी भावनाओं से होता है, क्योंकि इसमें हमारा भावनात्मक इतिहास संग्रहित होता है। जब व्यक्ति अस्थिर, चिड़चिड़ा या ज्यादा संवेदनशील महसूस करता है तब ये एस्ट्रल औरा प्लेन मौजूद नहीं होता या इसका प्रभाव कम हो गया होता है। जब व्यक्ति अपने आस-पास के वातावरण के साथ फिर से सामंजस्य बना लेता है तब ये औरा दोबारा मौजूद हो जाता है।
तीसरा लोअर औरा प्लेन : ये प्लेन उस समय सक्रिय होता है जब व्यक्ति जगा होता है। इससे व्यक्ति के विचार और व्यक्तित्व का निर्माण होता है। ये प्लेन एकाग्रता के समय हमारी मदद करता है यानि उस वक्त ये हमारे दीमाग को बढ़ावा देता है। जब भी आप निराश होते हैं तो समझें इस प्लेन में कोई बाधा उत्पन्न हुई है। इसी प्लेन में हमारी मान्यताएं भी जमा होती रहती हैं।
चौथा हायर औरा प्लेन: ये प्लेन हमारे अंदर की आवाज़ होता है यानि इस प्लेन में हमारी सोच व भावनाएं संग्रहित होती रहती हैं। व्यक्ति अपने आप से बातें करता है। इस प्लेन द्वारा अपने आत्मसम्मान, खुद से प्यार, किसी के प्रति सम्मान या आभार व्यक्त करना आता है।
पांचवां स्पिरिचुअल औरा प्लेन: इस प्लेन का सम्बन्ध सीधे तौर पर अध्यात्मिकता से होता है। अगर किसी व्यक्ति के स्पिरिचुअल औरा प्लेन का जुड़ाव किसी दूसरे व्यक्ति के स्पिरिचुअल औरा प्लेन से होता है तो दोनों के बीच अध्यात्मिक संबन्ध बनते हैं। जिन लोगो में ये प्लेन ज्यादा विकसित नहीं होता वो कई तरह के नकरात्मक विचारो से ग्रस्त रहते हैं।
छठा इन्ट्यूशनल औरा प्लेन: ये औरा प्लेन भी आध्यात्मिक लोगों में विकसित होता है या जो लोग आध्यात्मिक लोगों के नजदीक होते हैं। इसमें हमारे सपनें, पूर्वाभास और अध्यात्मिक जागरूकता संग्रहित होती है। ये औरा प्लेन हर किसी में विकसित नहीं होता ये सिर्फ उन लोगों में ज्यादा सक्रिय होता है जो शांत होते हैं तथा दुनियांदारी के व्यर्थ के आडम्बरों से परे होते हैं।
सातवां एब्सोल्यूट औरा प्लेन: यह औरा बहुत ही कम लोगों में विकसित होता है और ये व्यक्ति की आत्मां की यात्राओं का लेखा-जोखा अपने पास संग्रहित करता है। ये औरा बाकी औरा प्लेन को भी संतुलित रखता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां इंटरनेट से प्राप्त की गई हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरूचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)