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Way to Spirituality: ध्यान कैसे करें, इसके क्या फायदे हैं, जानिए

अध्यात्म को लेकर कई विषयों पर अक्सर मैं चर्चा करती हूं, जिस वजह से कई मित्र मुझसे ये सवाल भी करते हैं कि बताएं ध्यान कैसे करूं ?, जबकि ध्यान व प्राणायाम के लिए यूट्यूब पर ढेरों विडीयोंज भी एवेलेबल हैं, ध्यान लगाना, ये हमारी प्रचीन भारतीय पद्धति ही तो है। सामान्य तौर पर ध्यान लगाने के लिए कोई तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं हैं। ध्यान आप अपने घर पर भी लगा सकते हैं। पिछले ब्लॉग में हमने ध्यान क्या है पर आपके साथ चर्चा की थी, तो आइए इस ब्लॉग में ध्यान कैसे लगाएं पर चर्चा करते हैं व अपनी दिनचर्या में ध्यान लगाने की कोशिश भी करेंगे।

आप जानते ही होंगे कि ध्यान विशेष करके अपनी ज्ञानेंद्रियों को केंद्रित करने के लिए किया जाता है जिससे आपमें शांति, चेतना का प्रवाह होता है। आपके मस्तिष्क से नकारात्मक विचार दूर हो जाएंगे और आप सकारात्मक होते जाएंगे। आपको मानसिक और शारीरिक रूप से शक्ति व ऊर्जा को प्राप्त कर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होंगे।

2) चिंता नहीं

सबसे पहले अपने घर पर ही एक ऐसे स्थान का चयन करें जहां शांति, स्वच्छता, शोर व प्रदूषण बिल्कुल न हो। चौकड़ी लगाकर सीधा बैठें व अपनी रीढ़ को सुविधानुसार सीधा रखें। आप बिस्तर या फर्श पर दरी बिछाकर या एक कुर्सी का चुनाव भी कर सकते हैं, वैसे मेडिटेशन के लिए सामान्य स्थिति तो चौकड़ी लगाकर बैठना ही है लेकिन यदि आपके लिए यह असुविधाजनक है, तो आप अपने पैरों को फैलाकर या जिस स्थिति में आप सुविधाजनक महसूस कर रहें हो बैठ जाएं।

अपने सामने पड़ी किसी वस्तु या बिंदु पर अपना ध्यान केंद्रित करें, फिर आंखें बंद करके भृकुटी पर ध्यान लगाकर निरंतर मध्य स्थित अंधेरे को देखते रहें व श्वास लेते रहें रोकें नहीं। यह संभव है कि जब आप भृकुटी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हों  बार-बार आपका ध्यान भटक सकता है, लेकिन फिर से अपने मन को वापिस लाएं और ध्यान लगाने की कोशिश करें, सोचें कि आपको अच्छा महसूस हो रहा है, व्यर्थ के तनाव और चिंताओं को बिल्कुल भी न अपने दीमाग में आने दें। ऐसी परिस्थिति में आपको अपने सांस लेने के तरीके पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। गहरी सांस लेने की कोशिश करें और पूरी तरह से सांस छोड़े। सुनिश्चित करें कि आप अपने सांस लेने के तरीके पर अपनी एकाग्रता को विकसित कर रहे हैं। फिर कुछ दिनों के प्रयास के बाद अपने सांस लेने के तरीके की गति को बढ़ाने की कोशिश करें और अपने पेट को संकुचित करने और फैलाने की कोशिश करें। आप को निश्चित रूप से मदद मिलेगी। अब आपको लगेगा कि आपका मन स्थिर है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के मेडिटेशन तकनीक का चयन करते है, आप यूट्यूब पर इससे रिलेटिड विडीयोंज़ भी ज़रूर देखें। आपके लिए यहीं तक अभ्यास के चरण में दाखिल होना सही है लेकिन जो साधक हैं वो इसके बाद के चरणों की प्राप्ति के लिए कई-कई घंटे बैठकर ध्यान लगाते हैं। जिससे मौन, ध्यान और साधना मन व शरीर को मजबूत करने के साथ-साथ नए अनुभवों की ओर ले जाती है। जिससे भृकुटी के मध्य स्थित अँधेरा काले से नीला और नीले से सफेद में बदलने लगता है। सभी के साथ अलग-अलग अनुभव हो सकते हैं। मौन से मन की क्षमता का विकास होता जाता है जिससे पूर्वाभास तक होने लग जाते हैं यहीं से सिक्स्थ सेंस के विकास की शुरुआत होती है।

 

मनुस्मृति लखोत्रा