धर्म एवं आस्था डेस्कः हमारे शास्त्रों के अनुसार पूजा के कुछ विशेष नियम हैं, इन नियमों के अनुसार ही पूजा करते समय आवश्यक बातें ध्यान रखनी चाहिए। कुछ नियमों की जानकारी हम आपको देने जा रहें हैं। क्या है वो नियम आइए जानते हैं।
- सूर्य देव को शंख से कभी अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
- घर के मंदिर में सुबह एवं शाम को घी का दीपक अवश्य जलाएं। हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलाते हैं, वे रोगी होते हैं।
- पूजा में अक्षत यानी चावल टूटे हुए नहीं चढ़ाने चाहिए ये अपूर्ण और अशुद्ध माने जाते हैं। तिलक में भी चावल मिलाते हुए इस बात का ध्यान रखें।
- शिवलिंग पर गलती से भी सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ना चाहिए।
- हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही शुभ माना गया है। इसका धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ इसमें औषधिय गुण भी विद्यमान हैं इसीलिए सभी तरह के शुभ कार्यों में तुलसी के पत्तों का प्रयोग किया जाता है लेकिन तुलसी के पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाना मना है, दरअसल भगवान शिव ने तुलसी के असुर पति का वध किया किया था। जिस वजह से तुलसी भगवान भोलेनाथ से रूठ गई थी।
- सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव औरविष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेवों का ध्यान करना चाहिए। इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है। इस फूल को पांच दिनों तक जल छिड़क कर पुन: चढ़ाया जा सकता है।
- तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं।
- शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
- तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है। इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है।
- रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए।
- बुधवार और रविवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए।
- हिंदू धर्म में कोई भी पूजा गंगाजल के बिनां पूरी नहीं मानी जाती। इसलिए गंगाजल किसी प्लास्टिक या किसी अपवित्र धातु के बर्तन में नहीं रखना चाहिए। अपवित्र धातु जैसे एल्युमिनियम और लोहे से बने बर्तन। गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है।
- केतकी का फूल शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए।
- किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए।