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Poetry Breakfast: “घुँघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा, किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा”: “पोटली बाबा की”

लेख सेक्शनः ये उन दिनों की बात है जिन दिनों देश में इकलौता टीवी चैनल दूरदर्शन हुआ करता था। ये 90 का दशक था, तब न ही तो केबल टीवी की शुरुआत हुई थी और न ही आज के दौर की तरह सैटेलाईट चैनल्स की भरमार थी और तब सोशल मीडिया तो बहुत दूर की बात थी। उस समय दूरदर्शन पर शनिवार और खासतौर पर रविवार को प्रसारित होने वाले टीवी सीरियल इतने कीमती हुआ करते थे, कि अगर एक एपीसोड भी मिस हो जाया करता था तो अगले हफ्ते तक अगले एपीसोड का इंतज़ार करना बेहद मुश्किल हो जाता था।

टीवी चैनल्स की क्रांति आज इतनी आ चुकी है कि आज हर उम्र के व्यक्ति, बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सबके लिए अलग से कितने ही चैनल्स मौजूद हैं, लेकिन फिर भी जब हम टीवी ऑन करते हैं तो समझ में नहीं आता कि कौन सा टीवी सीरियल देखा जाए। हम सिर्फ चैनल ही बदलते रह जाते हैं, लेकिन एक वो समय था जब मुश्किल से चार या पांच टीवी सीरियल ही रविवार को आया करते थे पर वो सबके फेवरेट थे। जिन्हें आज भी भुलाया नहीं जा सकता।

उस समय दूरदर्शन पर रविवार को आने वाले टीवी सीरियल हरेक एज-ग्रुप को ध्यान में रखकर प्रसारित किये जाते थे। वो टीवी सीरियल परिवार के सभी सदस्य़ मिलकर देखा करते थे। चाहे उसमें बच्चों के लिए प्रसारित कार्टून शो ही क्यों न हो या फिर चित्रहार, रंगोली, जय श्री कृष्णा, आंखें, हातिमताई, अलिफ लैला आदि टीवी सीरियल्स जिनमें शालीनता थी और सीरियल के अंत में एक मैसेज भी होता था। टीवी सीरियल्स के टाइटल सॉंग्स भी इतने अच्छे और खूबसूरत होते थे जिन्हें आज भी अगर गुनगुनाया जाए तो बचपन के दिन एक खुली किताब की तरह सामने आ जाते हैं। ऐसा ही एक मेरा फेवरेट टीवी सीरियल था “पोटली बाबा की”।

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फेवरेट तो और भी बहुत थे उनका जिक्र फिर किसी दिन करेंगे लेकिन इस टीवी सीरियल से खास लगाव इसलिए भी था क्योंकि ये एक पपेट शो था जो कि मेरे लिए एकदम नया था, दूसरा इसका टाइटल सॉन्ग मेरा बहुत ही फेवरेट था। जो कि मैं आपके साथ शेयर करने जा रही हूं और आपसे उम्मीद करती हूं कि आप भी इसे पढ़ें और गुनगुनाएं भी।

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आया… रे बाबा आया…

घुंघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा,

किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा,

घुंघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा,

किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा,

हे.. आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा…

आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा…

आया… रे बाबा आया…

पोटली में हरी-भरी परियों के पर

मंदिरों की घंटियों, कलीसाओं  का  बाघ,

पोटली में हरी-भरी परियों के पर

मंदिरों की घंटियों, कलीसाओं  का  बाघ,

हे..आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा…

आया आया झेनू वाली झुन्नू का बाबा…

आया… रे बाबा आया…

उस समय कार्टून एनीमेशन इतना एडवांस नहीं था, लेकिन फिर भी कुछ गिने-चुने कार्टून और बच्चों के कार्यक्रम बहुत ही हिट रहें जैसेः मोगली-जंगल बुक, मिकी एंड माउस, टेलस्पिन, डक-टेल्स, अलादीन, ऐलिस इन वंडरलैंड  आदि

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“पोटली बाबा की”कार्यक्रम खासतौर पर बच्चों के लिए पपेट टेलीविज़न सीरिज़ थी जिसे 1991 में दूरदर्शन ने प्रसारित किया था। पोटली बाबा की कार्यक्रम में एक बूढा बाबा कहानियां सुनाते थे। जिनके पास एक पोटली थी जिसमें बहुत सारी हैरतअंगेज़ कहानियां हुआ करती थी और बाबा हर बार उसमें से एक कहानी निकालकर सुनाया करते थे। इस पपेट शों में बहुत सारी मशहूर और मनोरंजक कहानियों को बड़े ही दिलचस्प अंदाज़ और साधारण सी भाषा में तैयार किया गया था ताकि बच्चों को ये कहानियां और इन कहानियों के अंत में दिया गया मैसेज समझ में आ सके। इस पपेट सीरिज़ का टाइटल सॉन्ग ‘आया रे बाबा’ इतना मशहूर हुआ कि गली-गली, गांव-गांव, शहर-शहर ये गीत बच्चों के हर खेल में गूंजता था। इस गीत को लिखा और कंपोज़ किया था हिंदी-ऊर्दू के महान शायर गुलज़ार साहब ने।

जाते-जाते मैं यही कहना चाहूंगी कि चाहे हमारी कितनी भी उम्र क्यों न हो जाए,  कहते हैं कि हर इंसान में एक बच्चा ज़रूर होता हैं, और मुझे लगता है अपने अंदर के बच्चे को हमें कभी मरने नहीं देना चाहिए,  हंसिए,  मुस्कुराईए,  बच्चों के साथ खेलें,  बचपन के गीत गुनगुनाएं, क्योंकि सबके सामने तो हमें मैच्योर और समझदार होने के भाव अपने चेहरे पर हमेशा ही देने होते हैं लेकिन असल में हम कहां हैं ?

आइए इस टाइटल सॉन्ग को एक बार सुना भी जाए

इस गीत को सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर Click करें।

https://www.youtube.com/watch?v=pGs6MGI2_kQ

Gulzar – Potli Baba Ki – Serial Title Song – Aaya Re Baba Aaya – Music By Vishal Bhardwaj

 

मनुस्मृति लखोत्रा