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Religion & Astrology: तिरुपति बालाजी मंदिर के हैरान कर देने वाले रहस्य और मान्यताएं, जानिए

धर्म एवं आस्था डेस्कः तिरुपति बालाजी का मंदिर एक अद्वितीय और अदभुत मंदिर है। ये मंदिर आंध्रप्रदेश के तिरुमाला में स्थित हैं। हर साल तिरुमाला की पहाड़ियों पर भगवान तिरुपति के दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। कहा जाता है इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से कोई भी मुराद मांगता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। भगवान तिरुपति बालाजी को वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और गोविंदा के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक हैं लेकिन उनका कोई भी भक्त चाहे अमीर हो या गरीब कोई भी उनके दर्शनों के लिए आ सकता है। चलिए एक नज़र डालते हैं तिरुपति बाला जी मंदिर के साथ जुड़ी कुछ मान्यताओं पर।

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  • माना जाता है कि यहां साक्षात भगवान तिरुपति अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं।
  • इस मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे हुए बाल असली हैं और ये कभी भी उलझते नहीं हैं तथा हमेशा मुलायम ही रहते हैं। लोगों का मानना है कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि यहां पर खुद भगवान विराजते हैं।
  • भगवान बालाजी की मूर्ति पर अगर कान लगा कर सुना जाए तो समुद्र की आवाज सुनाई देती है और बार-बार उनकी पीठ पोछने पर भी नम ही रहती है।
  • मंदिर में मुख्य द्वार के दरवाजेके दाईं ओर एक छड़ी पड़ी हुई है। इस छड़ी के बारे में कहा जाता है कि इस छड़ी से बालाजी के बाल रूप में पिटाई की गई थी जिस कारण उनकी ठोडी पर चोट लग गई थी और तब से आज तक उनकी ठोडी पर हमेशा से चंदन का लेप लगाया जाता है ताकि उनका घाव भर जाए।
  • बालाजी महाराज पर चढ़ाए जाने वाले फूल-पत्ती या तुलसी के पत्ते भक्तों को नहीं दिए जाते हैं, बल्कि पीछे स्थित एक जलकुंड में बिना देखे विसर्जित कर दिये जाते हैं। क्योंकि फूलों को देखना और रखना अच्छा नहीं माना जाता है।
  • इस मंदिर में चढऩे वाले सभी फूल, वस्तुएं जैसे घी-दूध आदि मंदिर से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव से लाये जाते हैं। इस गांव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध है क्योंकि वहां कि औरतें ब्लाउज नहीं पहनती।
  • प्रत्येक गुरुवार के दिन तिरुपति बालाजी को पूर्ण रूप से पूरा का पूरा चंदन का लेप लगाया जाता है और जब उसे हटाया जाता है तब वहां खुद-ब-खुद ही माता लक्ष्मी की प्रतिमा उभर आती है।
  • भगवान तिरुपति बालाजी को प्रतिदिन नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया जाता है।
  • तिरुपति का सम्पूर्ण क्षेत्र भगवान विष्णु को बैकुंठ धाम के बाद सबसे ज्यादा प्रिय है।
  • बालाजी महाराज मंदिर में दाएं कोने में खड़े हैं, लेकिन उन्हें देख कर ऐसा लगता है मानों वे गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े हों.