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Religion & Astrology: सदियों से इन मंदिरों में होते आ रहे है अदभुत चमत्कार ! आज भी इनके रहस्य कोई नहीं जान पाया ! जानिए

धर्म एवं आस्था डेस्कः कई बार ऐसी घटनाएं या चमत्कार हमारी जिज्ञासा का कारण बन जाते हैं जिनके कुछ अनसुलझे पहलू आज भी एक पहेली की तरह ज्यों के त्यों बने हुए हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां धर्म, अध्यात्म, आस्था, भक्ति एवं विश्वास हमारे लिए विशेष महत्व रखते हैं। हमारे देश में प्राचीन काल से ही देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है और उनके पीछे जुड़ी आस्था व मान्यताएं भी हैं जिनका हम पालन करते आ रहें हैं। कई ऐसे मंदिर भी हैं जिनका प्राचीन इतिहास व कुछ अनसुलझे पहलू ये सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या आज के वैज्ञानिक युग में वैज्ञानिक भी इन रहस्यों की खोज नहीं कर पाये? क्या आज भी ऐसे चमत्कार हैं जिन पर वैज्ञानिक आज तक जवाब और तर्क ढूंढने में प्रयत्नशील है। आइए ऐसे ही कुछ अनोखे मंदिरों के रहस्यों के बारे में जाना जाए।

ज्वालामुखी मंदिर

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ज्वालादेवी मंदिर

प्रसिद्ध ज्वालामुखीमंदिर हिमाचल प्रदेश के कालीधार पहाड़ी के मध्य स्थित है। इस मंदिर में अनंत कालसे ज्वाला निकल रही है। यह भी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है, जिसके बारे में मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती कीजीभ गिरी थी। माता सती की जीभ के प्रतीक के रुप में यहां धरती के गर्भ से लपलपातीज्वालाएं निकलती हैं, जो नौ रंग की होती हैं।इन नौ रंगों की ज्वालाओं को देवी शक्ति के नौ रुप माना जाता है। ये देवियां है:महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी। इसके अलावा यहां पर एक और चमत्कार देखनेको मिलता है। मंदिर परिसर के पास ही एक जगह है ‘गोरख डिब्बी’ जो कि एक जल कुंडहै। इस कुंड में गर्म खौलता हुआ पानी है, जबकि छूने पर कुंड का पानी ठंडा लगता है।
 
आज तक यह किसी को पता नहीं चल पाया है कि ये ज्वालाएं कहां सेप्रकट हो रही हैं ? ये रंग परिवर्तन कैसेहो रहा है?  कुंड का खौलता हुआ जलहाथ डालने पर ठंडा कैसे पाया जाता है ? आज भी लोगों को यह पता नहीं चल पाया है कि ज्वालाएं यहांप्रज्वलित कैसे होती है और यह कब तक जलती रहेगी ? वैज्ञानिकोंके अनुसार यह मृत ज्वालामुखी की अग्नि हो सकती है।

कहते हैं, कुछ मुस्लिम शासकों ने ज्वाला को बुझाने के प्रयास किए थे, लेकिन वे विफल रहे। यहां पर दूर-दूर से माता के भक्त उनके दर्शन करने आते हैं।

कामाख्या मंदिर

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कामाख्या मंदिर

52 शक्तिपीठों में सेसबसे प्रसिद्ध माता कामाख्या का मंदिर है। ये मंदिर असम राज्य के गुवाहाटी के पासस्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर में देवी सती की योनि गिरी थी इसलिए यहां इसीस्थान की पूजा होती है। इसीलिए इसे कामाख्या मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर तीन हिस्सोंमें विभाजित है। इसके पहले हिस्से में हरेक को जाने की अनुमति नहीं मिलती। दूसरेहिस्से में माता के दर्शन होते हैं, जहांएक पत्थर से हर समय पानी निकलता है। कहते हैं कि महीने में एकबार इस पत्थर से खूनकी धारा निकलती है। ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे कारण क्या है, इसका रहस्य आज तक कोईनहीं जान पाया इसलिए ये मंदिर बेहद अदभुत और रहस्यमयी है?

काल भैरव मंदिर

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काल भैरव मंदिर

काल भैरव मंदिर की भी बड़ी मान्यता है। यह प्राचीन मंदिर मध्यप्रदेश के शहर उज्जैन से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में कालभैरव को केवल शराब पिलाने की परंपरा है आश्चर्यजनक बात यह है कि जब शराब का प्यालाकाल भैरव की प्रतिमा के मुख पर लगाया जाता है, तो वह देखतेही देखते खाली हो जाता है।

इसके पीछे वैज्ञानिक जांच भी हुई कि आखिर ये मदिरा जाती कहां है, लेकिन कुछ नहीं पता चल सका। माना जाता है कि कालभैरव का यह मंदिर लगभग 6,000 साल पुराना है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

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मेंहदीपुर बाला जी मंदिर

हनुमान जी के इस अदभुतमंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां साक्षात् हनुमान जी जागृत अवस्था मेंविराजमान हैं। यह धाम भगवान हनुमान के 10 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिरराजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेंहदीपुर में बाला जी के नाम से प्रसिद्ध है। यहांदेखा जा सकता है कि अगर किसी व्यक्ति में किसी बुरी आत्मा, भूत, प्रेत का वास होवो इस मंदिर की जद में आते ही चीखने-चिल्लाने लग जाते हैं और थोड़ी ही देर मेंपीड़ितों के शरीर से बाहर निकल जाते हैं। मानों या मानों लेकिन ये सच हैं कि बुरीआत्माएं डर कर उस व्यक्ति पर से भाग जाती हैं। कहते हैं कि इस मंदिर में रात कोरुकना मना है।

 जगन्नाथपुरी मंदिर 

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जगन्नाथपुरी धाम

यह मंदिर चार धामों में से एक हैं। कहते हैं कि तीन धामों के दर्शनों के बाद आखिर में इस धाम के दर्शनों के लिए जाना चाहिए। यह धाम इतना दिव्यऔर अदभुत है कि सारे विज्ञान इसके राज़ जानने में फेल साबित हुए। ओडिशा के नगरपुरी के तट पर भगवान जगन्नाथ का यह प्राचीन मंदिर है। यहां सारा साल भक्‍तों की भीड़लगी रहती है। इस मंदिर के गुंबद की छाया नहीं बनती है। इसके अलावा इस मंदिर के ऊपरलगा झंडा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। सिर्फ यही नहीं मंदिर के ऊपर व गुंबदके आसपास कोई पक्षी नहीं उड़ता। मंदिर के ऊपर एक सुदर्शन चक्र लगा है। जिसे आप किसी भीदिशा में खड़े होकर देखेंगे वह हमेशा सामने ही नजर आता है। मंदिरमें प्रसाद बनाने के लिए सात बर्तन एक दूसरे पर रखे जाते हैं और प्रसाद लकड़ीजलाकर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में लेकिन सबसे ऊपर के बर्तन का प्रसाद पहलेपकता है और भी ऐसे कई रहस्य है जिनके बारे में काफी-जांचपड़ताल करने के बावजूद भी इन रहस्‍यों का खुलासा नहीं हो सका है।

भारत के रहस्यमयी एवं अदभुत मंदिर सिर्फ यही नहीं है अनगिनत हैं जिनके रहस्य आज भी राज़ बने हुए हैं। हमारी अगली कड़ी में हम एक के बाद एक भारत के कुछ और मंदिरों के रहस्यों की जानकारी से आपको भी अवगत कराएंगे।

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