ये दौर भी बेहद खूबसूरत था जब महान गज़ल गायक पंकज उधास ने 1980 के दशक में एक अलग किस्म की गज़ले पेश की। उस समय ग़ज़ल गाने वाले कई और भी फेमस गज़ल गायक अपनी भारी आवाज़ के लाए जाने जाने थे ऐसे में गज़ल को मीठी सी आवाज़ में बेहद खूबसूरत तरीके से पेश करने वाले ऐसे गज़लकार सिर्फ पंकज उधास ही हो सकते हैं। अपने करियर के शुरुआती दौर में पंकज जी सिर्फ शौकिया तौर परही गाया करते थे लेकिन धीरे-धीरे म्यूजिक को बतौर प्रोफेशन चुना और मुंबई नगरी कीओर रुख किया। संगीत में रुझान तो था ही इसलिए उस्ताद नवरंग से संगीत की शिक्षा भीली। संजय दत्त की फिल्म में उन्होंने चिट्ठी आई है गीत गाया जो कि उस समय इतना सूपर हिट हुआ कि उसके बाद उनकी आवाज़ की गीत इंडस्ट्री में डिमांड बढ़ गई और एक के बाद एक हिट एलबम और गीत देकर बहुत जल्द अपने चाहने वालो में अपनी एक अलग पहचान बना ली।
पंकज ने 1980 में अपना पहला एल्बम ‘आहट’ निकाला फिर उसके बाद उन्होंने एल्बम ‘तरन्नुम’ और ‘महफिल’ लॉन्च किया। उन्होंने लगभग 40 एल्बम बनाए। पंकज ने गजलों के अलावा कई फिल्मों में गाने भी गाए।
नके गाये गीत “चिट्ठी आई है, ना कजरे की धार, चांदी जैसा रंग है तेरा- सोने जैसे बाल” आदि गीतों में प्यार, याद, खूबसूरती को पेश करने वाले बेहतरीन गीतों में से एक हैं। उनके गाये गीतों में इतनी सादगी है कि कम शब्दों में खूबसूरती को सोने चांदी जैसी उपमा देकर कहीं न कहीं प्यार और खूबसूरती की आलौकिक छवि उभरती है। आइए उनके कुछ बेहतरीन गीतों को पढ़ा और सुना जाए ताकि आपकी आज की ये शाम और भी हसीन हो जाए।
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आयी है वतन से चिट्ठी आयी है
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद
वतन की मिट्टी आई है, चिट्ठी आई है …
ऊपर मेरा नाम लिखा हैं, अंदर ये पैगाम लिखा हैं
ओ परदेस को जाने वाले, लौट के फिर ना आने वाले
सात समुंदर पार गया तू, हमको ज़िंदा मार गया तू
खून के रिश्ते तोड़ गया तू, आँख में आँसू छोड़ गया तू
कम खाते हैं कम सोते हैं, बहुत ज़्यादा हम रोते हैं, चिट्ठी …
सूनी हो गईं शहर की गलियाँ, कांटे बन गईं बाग की कलियाँ
कहते हैं सावन के झूले, भूल गया तू हम नहीं भूले
तेरे बिन जब आई दीवाली, दीप नहीं दिल जलेहैं खाली
तेरे बिन जब आई होली, पिचकारी से छूटी गोली
पीपल सूना पनघट सूना घर शमशान का बना नमूना
फ़सल कटी आई बैसाखी, तेरा आना रह गया बाकी, चिट्ठी …
पहले जब तू ख़त लिखता था कागज़ में चेहरा दिखता था
बंद हुआ ये मेल भी अब तो, खतम हुआ ये खेल भी अब तो
डोली में जब बैठी बहना, रस्ता देख रहे थे नैना
मैं तो बाप हूँ मेरा क्या है, तेरी माँ का हाल बुरा है
तेरी बीवी करती है सेवा, सूरत से लगती हैंबेवा
तूने पैसा बहुत कमाया, इस पैसे ने देश छुड़ाया
पंछी पिंजरा तोड़ के आजा, देश पराया छोड़ के आजा
आजा उमर बहुत है छोटी, अपने घर में भी हैं रोटी, चिट्ठी …
ना कजरे की धार ना मोतियो के हार
ना कोई किया सिंगार फिर भी कितनी सुंदर हो
तुम कितनी सुंदर हो
मन मे प्यार भरा और तन मे प्यार भरा
जीवन मे प्यार भरा तुम तो मेरे प्रियवर
तुम्ही तो मेरे प्रियवर हो
सिंगार तेरा योवन योवन ही तेरा गहना
तू ताज़गी फुलो की क्या सादगी का कहना
उड़े खुश्बू जब चले तू
बोले तो बजे
ना कजरे की धार ना मोतियो के
ना कोई किया सिंगर फिर भी कितनी सुंदर
तुम कितनी सुंदर
सारी दुनिया हर जाई तेरे प्यार मे है सच्चाई
इस लिए छोड़ के दुनिया तेरी और खींची चली
थी पत्थर तूने छूकर
सोना कर दिया
मन में प्यार भरा और तन मे प्यार भरा
जीवन मे प्यार भरा तुम तो मेरे प्रियवर हो
तुम्हीं तो मेरे प्रियवर हो……
तेरा अंग सच्चा सोना मुस्कान सच्चे मोती
तेरे होंठ है मधुशाला, तू रूप की है ज्योती
तेरी सूरत जैसे मूरत
मैं देखूं बार -बार
ना कजरे की धार ना मोतियो के
ना कोई किया सिंगार फिर भी कितनी सुंदर हो
तुम कितनी सुंदर हो…
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
इक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
जिस रस्ते से तू गुजरे वो फूलों से भर जाये
तेरे पैर की कोमल आहट सोते भाग जगाये
जो पत्थर तो छू ले गोरी वो हीरा बन जाये
तू जिसको मिल जाये वो
तू जिसको मिल जाये वो हो जाये मालामाल
इक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल
जो बेरंग हैं उसपे क्या क्या रंग जमाते लोग
तू नादान न जाने कैसे रूप चुराते लोग
नज़रें जी जी भर के देखें आते जाते लोग
छैल छबीली रानी थोड़ा
छैल छबीली रानी थोड़ा घूँघट और निकाल
इक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल..