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वास्तुशास्त्र एवं ज्योतिषः व्रत एवं तप से ग्रहों को किया जा सकता है पोजिटिव, जानिए कैसे ?

ज्योतिष डेस्कः  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जन्म से ही उसके जीवन पर 9 ग्रहों का प्रभाव पड़ने लग जाता है व उसके जीवन की दशा, दिशा, सुख-दुख, भाग्य, घर-परिवार, उन्नति आदि ग्रहों के शुभ-अशुभ प्रभावों से निर्धारित होती है। इसलिए अक्सर हम ज्योतिषियों के पास अपनी जन्म-कुण्डली दिखाने जाते हैं व ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय भी करते हैं, जिनमें से एक है व्रत-तप द्वारा ग्रहों के शुभ फल प्राप्त करना या उनके दोष या अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कोई उपाय करना आदि। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हरेक ग्रह को व्रत, तप एवं पूजा आराधना करके उन्हें पोजिटिव किया जा सकता है व उसके चमत्कारी लाभ भी पाए जा सकते हैं। यदि हमारी कुण्डली में कोई भी ग्रह अशुभ है या अच्छा प्रभाव नहीं दे पा रहा है तो उसका व्रत कैसे करें व उससे क्या लाभ मिल सकता है आइए जानते हैं।

रविवार को करें सूर्य देव का व्रत – 
सूर्य देव के व्रत करने से अगर आप किसी रोग से पीड़ित हैं या परिवार में कोई सदस्य काफी सालों से बीमार है तो सूर्य देव का व्रत करें। इस व्रत के करने से शरीर आरोग्य होता है, शत्रु का नाश होता है व तेज व सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सूर्य देव का व्रत एक साल या 30 रविवार तक रखा जा सकता है। व्रत के दिन स्नान व ध्यान के प्रश्चात तांबे की लोटे में शुद्ध जल, लाल रोली या चंदन, अक्षत, लाल पुष्प आदि डालकर ॐ घृणि सूर्याय नमः या ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः, मंत्र बोलते हुए अघ्र्य दें। साथ ही इस मंत्र का कम से कम 3 माला का जप अवश्य करें।

सोमवार को करें चंद्र देव का व्रत – 
चंद्र देव का संबंध व्यक्ति के मन के साथ जोड़ा जाता है। यदि आपका चंज्र कमज़ोर है तो आपको व्यापार में बाधाएं, खराब मानसिक स्थिति, भ्रम आदि जैसी मनोदशाओं का सामना करना पड़ सकता है। अपनी कुण्डली में चन्द्र को प्रबल बनाने के लिए 54 सोमवार व्रत करने का विधान है। इस दिन स्नान के पश्चात सफेद वस्त्र धारण करें व ध्यान के पश्चात् ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः’ मंत्र का 5 या 11 माला का पाठ करें। भोजन में नमक का प्रयोग न करें। इस व्रत के करने से कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं मानसिक दशा में सुधार आता है, प्रत्येक मनोकामना पूरी होती है।

मंगलवार को करें मंगल देव का व्रत – 
इस दिन लाल वस्त्र धारण करने चाहिए व इस दिन के व्रत को 45 या 21 मंगलवार किया जाता है। इस व्रत के करने से साहस व आत्मविशवास में बढौतरी होती है। इस व्रत को संयमपूर्वक रखना चाहिए व नियमपूर्वक ॐ अं अंगारकाय नमः’ का 3, 5, या 7 माला जाप करना चाहिए। इस व्रत में भी नमक का प्रयोग न करें। मंगल देव के इस व्रत को करने से कर्ज से मुक्ति और संतान सुख की प्राप्ति होती है साथ ही मंगल से संबंधित रोगों से मुक्ति मिलती है, धन जुड़ने लग जाता है।

बुधवार को करें बुध देव का व्रत –
बुध देवता का व्रत 45 या 17 बुधवार रखना चाहिए व हरे रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। इस व्रत को रखने से विद्या, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।  ॐ बुं बुधाय नमः या ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः मंत्र का पाठ 17 या 5 माला करना चाहिए। भोजन में नमक रहित मूंग से बनी चीजें खाएं। बातचीत या विद्या से संबंधित कार्य करने वालों के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी होता है।

बृहस्पतिवार को करें बृहस्पति देवता का व्रत – 
बृहस्पतिवार का व्रत 1 वर्ष, 16 गुरुवार या 3 वर्ष तक रखना चाहिए। इस व्रत के करने से बुद्धि, विद्या, सुख, संतान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। धन संचय बढ़ता है। समाज में मान-सम्मान व प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। अविवाहितों की शीघ्र शादी होती है। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनें व बृहस्पतिवार की कथा का पाठ करने के साथ ही केले का पूजन करें। पूजन में ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः का 3, 5, या 16 माला जप अवश्य करें।

शुक्रवार को करें शुक्र देव का व्रत – 
शुक्रवार के व्रत को 16, 21, या 31 शुक्रवार तक रखा जाता है। इस व्रत के करने से भौतिक सुख-सुविधाओं, समृद्धि, सौभाग्य और वैवाहिक सुख व प्रेम संबंधों में सफलता पाने के लिए इस व्रत को किया जाता है। इस दिन सफेद कपड़े धारण कर ‘ॐ शुं शुक्राय नमः’ या ओम द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः  का 5, 11, या 21 माला जप करना चाहिए। इस व्रत में चावल, चीनी, दूध, या दही से बनें पदार्थों का ही सेवन करें। इस दिन वैभव लक्ष्मी का व्रत भी सुख व समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

शनिवार को करें शनिदेव का व्रत – 
इस व्रत के करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, शनिदोष दूर होते हैं, सांसारिक परेशानियां, मुकदमें में जीत व लोहे का व्यापार करने वालों को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। शनिवार के व्रत 51 या 21 शनिवार रखने का विधान है। शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान यह व्रत काफी राहत प्रदान करता है। शनिवार के दिन स्नान व ध्यान के पश्चात् काले कपड़े पहनकर ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनिश्चराय नमः’ मंत्र का 19, या 11 माला जप करना चाहिए। जप करते समय एक पात्र में शुद्ध जल, काले तिल, दूध, चीनी और गंगाजल अपने पास रखें। जप के बाद इसे पीपल के वृक्ष की जड़ में पश्चिम मुखी होकर डाल दें। भोजन में काले उड़द के आटे से बनी चीजें खाएं। तेल में तली वस्तु जरूर खाएं। फल में केला खाएं।

राहु और केतु ग्रह का व्रत – 
राहु व केतु ग्रह के व्रत को कम से कम 18 शनिवार तक इनके नाम से करना चाहिए। व्रत के दिन काले कपड़े धारण करके ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’ या ‘ॐ कें केतवे नमः’ का 5, 11 या 18 माला जाप करना चाहिए। यह व्रत राहु तथा केतु से जुड़े दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है।

व्रत में ध्यान देने योग्य बातें

किसी भी ग्रह का व्रत उसी के निश्चित वार को ही किया जाता है।
कोई भी व्रत शुक्लपक्ष को ही प्रारंभ करें।
सभी व्रत के दिन प्रातः स्नान आदि करके स्वच्छ कपड़े ही धारण करें व सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें।
व्रत के दिन केवल एक बार भोजन करना चाहिए।
व्रत के दिन जो चीजें खाएं उन्हें यथाशक्ति दान भी करना चहिए।