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Way to Spirituality: आत्मशोधन किए बिना आत्मज्ञान की कामना क्यों !

आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए आत्मचिंतन बेहद ज़रूरी है। आत्मचिंतन यानि अपने मन को जानना, अपने अंदर की खामियों को पहचानना, अपने आप को जानना, अपने लक्ष्य को पहचानना। यदि आत्मज्ञान चाहिए बेहतर यही होगा कि सबसे पहले आत्मशोधन करें। अपनी गलतियों को पहचानें, अपनी बुरी आदतों को सुधारें। जैसे एक सच को छुपाने के लिए हम कई झूठ बोलते हैं लेकिन ये याद रखें कि झूठ सिर्फ एक बार नहीं बल्कि बार-बार बोलना पड़ता है। ये ज़रूरी नहीं कि जैसा दूसरे लोग अपनी गलतियों को छुपाने के लिए करते हैं आपको भी वैसा ही करना है। आप कर्म करते हुए अपने रास्ते चलें, वो रास्ता थोड़ा कठिन ज़रूर है लेकिन आत्म संतुष्टि देने वाला ज़रूर होगा। क्योंकि ये आपको पता है कि आप सही हैं दूसरे लोग आपको जज करने वाले कौन होते हैं ? इसलिए कोई आपके बारे में क्या कह रहा है इसकी परवाह न करें। रोज़ अपने आपको भी थोड़ा वक्त ज़रूर दें, अपने बारे में सोचें, अपने मन की सुनें, देखना सुकून मिलेगा।

अपना एक लक्ष्य बनाएं, उसे पूरा करने की कोशिश करें। व्यर्थ की बातों और ऐसे लोगों से दूर रहें जिनसे आपके विचारों पर प्रभाव पड़ता हो। यदि जो विकृतियां आपमें हैं उन्हें अपने से दूर करें। असत्य से सत्य की ओर चलें, दूसरे की निंदा करने से बचें। अपना काम तय समय पर पूरा करें। क्योंकि अगर आप ही अपने दोषों पर पर्दा डालेंगे तो फिर सही और गलत में फर्क आप स्वयं ही नहीं कर पायेंगे। कुविचारों, कुसंस्कारों और कुकर्मों से छुटकारा पाने की कोशिश करें नहीं तो अंत समय में हमारे पास समय ही नहीं होगा कि हम अपनी गलतियों को सुधार सकें। क्योंकि आत्मशोधन किए बिना आत्मज्ञान की प्राप्ति की कामना करना बेकार है, हमेशा याद रखें अच्छा आचरण व अच्छे गुण ही जीवन का आधार हैं।

मनुस्मृति लखोत्रा