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Happiness is Free: याद कीजिए बचपन में लक्ष्य साधने का हुनर तो आपने खेल-खेल में ही सीख लिया था, फिर अब दुविधा कैसी !

कभी-कभी अपने बचपन से लेकर उम्र के उस पड़ाव तक जिस पड़ाव में आज आप हैं, तक के एचीवमेंट्स को याद कर लेना चाहिए। याद कीजिए उस वक्त आप कितने एक्टिव थे, आपको कितने लोगों ने सराहा था, चाहे जब आपने अपनी क्लास में अच्छे अंक हासिल किए हों, या किसी काम को करके दिखाया हो, किसी खेल में कोई एवार्ड जीता हो आदि। अपनी सफलताओं को याद कीजिए। याद कीजिए बचपन में आप बुहत छोटी सी बात पर रोमांच और आनंद से भरपूर हो जाते थे। पिता जी से एक पतंग मिल जाने पर जैसे आपको ही पंख लग जाते थे। पकड़न-पकड़ाई, छुपन-छुपाई और कंचे खेलते समय सटीक निशाना लगाने का हुनर तो आप खेल-खेल में ही सीख गए थे, क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केट बॉल, बेडमिंटन इत्यादि, तो फिर आज अपने लक्ष्य पर निशाना साधने में चूक कैसी?

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अपने ऊपर भरोसा रखें देखना आपके अंदर फिर से उत्साह भर जाएगा, भावनात्मक तौर से आप सूदृढ़ हो जाएंगे। दरअसल, आज भी आप वैसे ही हैं बस थोड़ा गैप होने की वजह से आपने अपनी क्षमताओं को आज़माकर नहीं देखा है। आप अपने जीवन में कई बड़ी-बड़ी परिस्थितियों का सामना कर चुके हैं, जीवन में कई उतार-चढ़ाव देख चुके हैं। आप एकबार फिर से जीतने का प्रयास कर सकते हैं और प्रयास करने की कोई उम्र नहीं होती। जो लोग आपकी क्षमताओं पर शंका करते हैं। उन्हें नजरअंदाज़ करें। लेकिन प्रयास करना न छोड़ें। आपको कई बार लगेगा कि आपको सफलता नहीं मिलेगी। लेकिन इस दौरान ऐसी बातें ज़हन में आना एक आम सी बात है। आप निराश न होएं, धैर्य रखें, अपनी भावनाओं को हमेशा सकारात्मक रखें, प्रयास और अभ्यास हमेशा करते रहें, देखना जीत आपकी निश्चित ही होगी।

 

मनुस्मृति लखोत्रा