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धर्म एवं आस्थाः 900 साल पुराना एक ऐसा मंदिर जहां बिना सिर वाली मूर्तियों की होती है पूजा, जानिए !

धर्म एवं आस्था डेस्कः हिंदू धर्म में खंडित मूर्ति की पूजा करना अशुभ माना जाता है लेकिन ये जानकर आपको बेहद हैरानी होगी कि इस प्रचीन मंदिर में ज्यादातर मूर्तियों के सिर खंडित हैं लेकिन फिर भी इन मूर्तियों की पूजा की जाती है। दरअसल, हम उत्तरप्रदेश में स्थित अष्टभुजा धाम मंदिर की बात कर रहे हैं। ये मंदिर उत्तरप्रदेश में प्रतापगढ़ के गोंडे गांव में स्थित है। दरअसल, इस मंदिर की मूर्तियों के सिर औरंगजेब ने कटवा दिए थे लेकिन शीर्ष खंडित मूर्तियां आज भी अपने स्थान पर ज्यों की त्यों खड़ी हैं जिन्हें संरक्षित करके रखा गया है।

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इस बारे में जानकारी एएसआई के रिकॉर्डस से मिलती है जिसके अनुसार मुगल शासक औरंगजेब ने 1699 ई. में हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था लेकिन इस मंदिर के पुजारी ने मंदिर को बचाने के लिए इसका मुख्य द्वार मस्जिद जैसा बनवा दिया था, जब औरंगजेब के सैनिक मंदिर को तोड़ने आए तो उन्हें मस्जिद होने का भ्रम तो हुआ लेकिन उनके सेनापति की नज़र मंदिर के घंटे की ओर पड़ गई जिससे उसे शक हो गया कि ये तो मंदिर है, फिर सेनापति ने अपने सैनिको को मंदिर के अंदर भेजा, जिसके बाद उन्होंने मंदिर की सभी मूर्तियों के सिर काट दिए। इसलिए आज भी इस मंदिर की मूर्तियां उसी हालत में देखने को मिलती हैं।

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इस मंदिर का निर्माण कब हुआ इसके बारे में कोई लिखित प्रमाण तो नहीं है लेकिन इतिहासकारों और पुरातत्वविदों नें इस मंदिर की दीवारों पर हुई नक्काशी और विभिन्न आकृतियों को देखकर अंदाजा लगाया है कि यह मंदिर 11वीं सदी में बना था क्योंकि मंदिर के गेट पर बनी आकृतियां मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर से काफी हद तक मेल खाती हैं इसलिए गजेटियर के अनुसार माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सोमवंशी क्षत्रिय घराने के राजा ने करवाया था। इस मंदिर से अष्टभूजी माता की मूर्ति चोरी हो गई थी लेकिन मंदिर के पूजारी और गांव वालों के सहयोग से फिर से वैसी ही मूर्ति का निर्माण कराया गया था।

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विशेष लिपि में लिखा है रहस्य, जिसे कोई नहीं पढ़ पाया

इस मंदिर के मेन गेट पर एक विशेष भाषा में कुछ लिखा है। इस भाषा का अब तक नहीं पता चल पाया है इसे समझने में कई पुरातत्वविद और इतिहासकार फेल हो चुके हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये ब्राह्मी लिपि है तो कुछ उससे भी पुरानी भाषा का जिक्र करते हैं, लेकिन ये लिखा क्या है, यह अब तक कोई नहीं समझ पाया।