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यादगार लम्हेः चाहे हम अपनो से कितनी भी दूर क्यों न हों लेकिन कुछ रिश्ते रूहानी होते हैं : “घर से निकले थे हौसला करके, लौट आए खुदा-खुदा करके”…

आज मैं आपको मशहूर गज़लकार जगजीत सिंह की एक खूबसूरत सी गज़ल से रूबरू करवाने जा रही हूं… इस ग़जल के लिरिक्स चंद लाईनों में बहुत बड़ी बात कह जाते हैं कि चाहे हम कितने भी बड़े आदमी क्यों न बन जाएं, कितनी भी दूर क्यों न चले जाएं, अपनों का साथ आपको वापिस खींच ही लाता है। बिछड़े हुओं से जो स्नेह, प्यार, रिस्पेक्ट मिली थी वो कहीं ओर है ही कहां ? ये गज़ल है-

घर से निकले थे हौसला करके

लौट आए खुदा-खुदा करके….

वो बात अलग है कि वफा करके दिल का दर्द तो मिलेगा ही….लेकिन दिल का रोग लिए बिना भी ये ज़िंदगी अधूरी है, अगर विश्वास न हो तो अपने तजुर्बे से अपने अंदर एक बार ज़रा झांक कर तो देखिए।

दर्द-ए-दिल पाओगे वफ़ा करके
हमने देखा है तजुर्बा करके
हरेक की ज़िंदगी में एक फेज़ ऐसा आता है जब हम अपने दिमाग की नहीं सिर्फ दिल की सुनते हैं। तो फिर दिल से सिर्फ एक ही आवाज़ आती है…..
ज़िन्दगी तो कभी नहीं आई

मौत आई ज़रा ज़रा करके

लोग सुनते रहे दिमाग़ की बात
हम चले दिल को रहनुमा करके
(
रहनुमा = पथ-प्रदर्शक, मार्गदर्शक)

लेकिन फिर भी जब दिमाग की सुने बिना दिल की आवाज़ हम पर हावी हो जाती है तो  तब भी सुकून कहां मिल पाता है।

किसने पाया सुकून दुनिया में
ज़िन्दगानी का सामना करके

वाकेय, ये खूबसूरत गज़ल जो कि जगजीत सिंह की एलबम आईना में से हैं। इस ग़ज़ल को खूबसूरत आवाज़ के फ़नकार जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ तो दी ही है लेकिन इस गीत की पिक्चराइजेशन भी दिल को छू लेने वाली है जिसमें अदाकारा दिव्या दत्ता ऑडिशन्स लेती दिखाई दे रही हैं…इस गज़ल में जो ठहराव और दर्द है वो कहीं न कहीं दिल की गहराईयों को अंदर तक छूता नज़र आता हैं..तो फिर आज शाम की चाय के साथ क्यों न इस ग़ज़ल को सुना जाए ?

गज़ल सुनने के लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें…

Jagjit Singh – GHAR SE NIKLE THE- source- universal music India

मनुस्मृति लखोत्रा