You are currently viewing Happiness is Free : बेपरवाह होकर चमकना सीखिए…!

Happiness is Free : बेपरवाह होकर चमकना सीखिए…!

कई बार हमारे बहुत से काम इसलिए भी रह जाते हैं जब हमारे पास पैसे या पर्याप्त साधनों का अभाव होता है। फिर हम सोचते हैं पैसे आ जाएं तो कुछ नयां काम किया जाए या कोई नयां Initiate लिया जाए लेकिन कई बार ऐसा सोचते-सोचते वक्त कहीं आगे निकल जाता है और हम पीछे रह जाते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी दूसरे की नौकरी आपकी प्रतिभा के अनुसार आपको काम व उचित सम्मान नहीं दे पाती या आपको उतना वेतन नहीं दे पाती जितना कि आप डिजर्व करते हैं। तो फिर ऐसे में अगर आपके अंदर क्षमताएं, साहस व प्रतिभा है तो आप अपने स्वाभिमान के लिए बहुत कुछ खुद के लिए खड़ा कर सकते हैं। अपने सपनों को अपने आप पूरा कर सकते हैं। किसी के नौकर बनने से अच्छा, चाहे आप कम ही कमाएं लेकिन मालिक बनकर अपनी शर्तों पर काम कर सकते हैं। अब जैसे किसी खान में जब तक बेश्कीमती हीरे या सोना दबा हुआ है, किसे पता उसकी वेल्यू क्या है, लेकिन जैसे ही खादान से बाहर निकाल लिया जाता है वैसे ही उसकी कीमत हज़ारों या लाखों की हो जाती है। ऐसे ही आपकी प्रतिभाएं व क्षमताएं अद्वितीय हैं। उन्हें अपने अंदर न पड़े रहने दें बल्कि उसका सहीं समय व उम्र में इस्तेमाल करें। जैसे सूरज और चांद बेपरवाह होकर रोज़ाना ठीक समय पर उदय व अस्त होते हैं उन्हें किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता, चाहे आंधी आए या तूफान उन्हें तो उदय होना ही है। इसलिए आपको भी उदय होना है, आपनी प्रतिभाओं व क्षमताओं का विकास करना है व बेपरवाह होकर चमकना है।

मनुस्मृति लखोत्रा