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धर्म एवं आस्थाः सूर्यदेव के रथ को सात घोड़े ही क्यों खींचते हैं? इन सात घोड़ों के नाम क्या हैं? जानिए

धर्म एवं आस्था डैस्कः ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पूरे संसार को रोशनी देने वाले भगवान सूर्य की पूजा व उपासना करने से सभी कुंडली दोष खत्म हो जाते हैं व उच्च पद, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। सूर्यदेव के रथ के सारथी और उनके रथ को खींचने वामे सात घोड़ों की भी बड़ी महिमा है। हमारे पुराणों के अनुसार सूर्यदेव हर सुबह अपने रथ पर सवार होकर पूर्व दिशा से आते हैं। उनके सारथी का नाम अरुण हैं जो कि भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के भाई हैं।

ऋग्वेद में ये कहा गया है कि ‘सप्तयुज्जंति रथमेकचक्रमेको अश्वोवहति सप्तनामा’ यानी सूर्य चक्र वाले रथ पर सवार होते हैं जिसे सात नामों वाले घोड़े खींचते हैं।

पुराणों में सूर्यदेव के घोड़ों के बारे में उल्लेख मिलता है जिनके नाम है ‘गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति।’ यह सात नाम सात छंद हैं। यानी सात छंत हैं जो अश्व रुप में सूर्य के रथ को खींचते हैं। सूर्य के रथ की खूबियों के विषय में शास्त्रों में बताया गया है कि इस रथ का विस्तार नौ हजार योजन है। इसका धुरा डेड़ करोड़ सात लाख योजन लम्बा है।

लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से ऐसा माना जाता है कि सूर्य हमारी पृथ्वी से बहुत दूरी पर है, सूर्य से निकलने वाली किरणें जो इंदर धनुष भी बनाती हैं उनमें सात रंग नज़र आते हैं शायद इन सात रंगों को ही सूर्य के सात घोड़े मान लिया होगा।