कहते हैं इस मंदिर में न ही किसी सरकार का हुक्म चलता है और न ही किसी राजनीतिज्ञ का। इस मंदिर में अगर किसी का हुक्म चलता है तो सिर्फ यहां के देवता का, और पुलिस को यहां आने की सख्त मनाही है। ये मंदिर हैं हिमांचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित शंगचूल महादेव का। यह मंदिर पांडवकालीन बताया जाता हैं, कहा जाता हैं जिन्हें समाज और बिरादरी में शरण नहीं मिलती उन्हें शंगचुल महादेव अपने पास शरण देते हैं और उनकी रक्षा करते हैं।
बता दें कि, जैसे ही इस सीमा में कोई प्रेमी युगल पहुंचता है तो उसे देवता की शरण में आया हुआ समझ लिया जाता है। यहां देवता का ही निर्णय सर्वमान्य होता है। गांव के लोग देवता के आदेशों के तहत इन लोगों की रक्षा करते हैं। जब तक प्रेमी युगल के मामले अच्छे से सुलझ नहीं जाते तब तक मंदिर के पंडित उनकी पूरी देखभाल करते हैं। यहां अल्कोहल, सिगरेट एवं चमड़े की कोई भी चीज भी लेकर आना भी सख्त मना है।
जानिए क्या है मान्यता ?
ये मंदिर पांडवकालीन ऐतिहासिक धरोहर है। इसके बारे में बताया जाता है कि अज्ञातवास के वक्त पांडव यहां कुछ वक्त के लिए ठहरे थे लेकिन कौरव उनका पीछा करते हुए यहां आ गए, तब महादेव ने कौरवों को रोका और उन्हें कहा कि ये मेरा क्षेत्र है और जो भी मेरी शरण में आएगा उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। महादेव के डर से कौरव वापस लौट गए। इसके बाद से यहां परंपरा शुरू हो गई और यहां आने वाले भक्तों को पूरी सुरक्षा मिलने लगी। कहते हैं इस मंदिर की सीमा क्षेत्र करीब 100 बीघा मैदान है, जैसे ही कोई प्रेमी युगल इस सीमा में कदम रखता है वैसे ही उसे देवता की शरण में आया मान लिया जाता है।
हर साल लोग खासकर प्रेमी जोड़े इस मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।