ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति का ग्रहों से गहरा नाता है। जिनका उच्च या नीच होना जातक के जीवन को प्रभावित करता है। जैसे सूर्य से प्रभावित लोग तुरंत निर्णय लेते हैं, जिसका परिणाम ठीक ही रहता है तो वहीं चन्द्रमा से प्रभावित लोगों का निर्णय आमतौर पर भावनाओं से चलता है। मंगल प्रधान लोग जोश में निर्णय लेते हैं, बुध प्रधान लोग अक्सर निर्णय लेने में दुविधा के शिकार हो जाते हैं। बृहस्पति और शुक्र प्रधान लोग अक्सर संतुलित निर्णय ले लेते हैं। शनि प्रधान लोग सोच समझकर और बेहतरीन निर्णय लेते हैं।
किन ग्रहों से होते हैं गलत और सही निर्णय ?
यदि कुंडली में चन्द्र और बुध की प्रधानता हो तो व्यक्ति चंचल स्वभाव और भावनाओं के कारण गलत निर्णय लेता है, जल तत्व की मात्रा बढ़ने पर भी ऐसा ही प्रभाव होता है। पंचम भाव के स्वामी के कमज़ोर होने पर, अग्नि तत्व मजबूत होने पर व्यक्ति जोश में गलत निर्णय ले लेता है और कभी कभी बुरी तरह असफल होता है। अगर अंगूठे का पहला पोर लचीला हो व्यक्ति बार बार निर्णय बदलता है और असफलता का सामना करता है, तो दूसरी तरफ पंचम भाव के मजबूत होने पर व पृथ्वी तत्व और अग्नि तत्व संतुलित होने पर व्यक्ति सही निर्णय लेता है। इसके साथ ही यदि शनि मजबूत हो, सुभ ग्रह केंद्र में हो खासतौर पर बृहस्पति, चंद्र शुभ स्थान पर हो, अंगूठे का पहला पोर लंबा व सख्त हो।
निर्णय क्षमता को मजबूत करने के लिए सरल उपाय क्या हैं ?
– सुबह सूर्य को जल जरूर अर्पित करें।
-महीने में दो एकादशी या एक पूर्णिमा का जलीय उपवास रखें।
– भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र – नमः शिवाय का जाप करें , या भगवान विष्णु के द्वादशाक्षर मंत्र – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें।
– शनिवार को प्रकाश का दान करें।
मनुस्मृति लखोत्रा