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Happiness is Free: अपने होने का एहसास हमेशा ज़िंदा रखें…

तेज़…और तेज़, फिर सबसे तेज़….ऐसी तेज़ी भी क्या जहां हम एक ऐसी भीड़ का हिस्सा बन गए हैं जहां सुबह से लेकर शाम तक अगर नहीं भागा गया तो हम पीछे रह जाएंगे और जैसे ही हमारी चाल धीमी हुई नहीं कि हम अयोग्य होने की कतार में खड़े कर दिये जाएंगे। कई बार समझ में नहीं आता कि आखिर इतना तेज़ भागकर हमें जाना कहां हैं। जहां हम एक कठपुतली की तरह बनकर रह गए हैं हमारे ऊपर का चौखटा एक दम सजा-धजा, परफ्यूम, डीओ से लिपा-पुथा…जिससे हम फ्रेश दिखने की कोशिश करते हैं लेकिन असल में अंदर से हम थके हुए हैं।

हमारे पास अपने आप से बात करने तक का समय नहीं फिर परिवार तो दूर ठहरा…जिस वजह से हमारा अपने आप से ही डिस्कनेक्शन होने लगा है। आगे बढ़ने की दौड़ में हम इतने प्रोफेशनल हो गए हैं कि हमारे पास इसके अलावा और कोई विकल्प है भी तो नहीं। कॉरपोरेट की दुनियां में हमें जैसा घड़ा गया, तराशा गया हम वैसे ही हो गए लेकिन असल में हमारा अपना भी एक वजूद है, अपनी पसंद, नापसंद है, अपने कुछ शोंक हैं, हमारे अंदर कुछ प्रतिभाएं हैं…लेकिन अब वो सब कहीं गुम हैं..काफी समय से हमने उनका हाल-चाल भी नहीं पूछा…शायद काफी दिनों से कोई लाइट म्यूज़िक सुनते हुए…गुनगुनाकर भी नहीं देखा होगा…सहीं कह रही हूं कि नहीं…मुझे पता है…..इसका जवाब आप अपने मन में हां में ही दे रहे होंगे।

तो फिर क्यों न अपने वजूद को फिर से टटोला जाए ?…कहीं दूर प्रकृति की बाहों में कुछ वक्त ज़रूर बिताकर आएं….वहां की आबोहवा…मौसम की फुहारों में….पत्तों की सर सर में….किसी नदी की कल कल में खुद को फिर से निहारा जाए। कुछ वक्त अपने और अपनों के साथ बिताएं…जहां आप हवा के साथ रेस लगा सकें…बच्चों के साथ फिर बच्चा बन जाएं…भागे..दौड़ें…खूब हंसे…गीत नया कोई फिर से गाएं…ठहर कर प्रकृति को निहारें…और फिर से रिवाइव होकर वापिस आएं..आप महसूस करेंगे कि आप पहले से ज्यादा काम भी कर पा रहें हैं और अच्छा भी महसूस कर रहे हैं।

ज़िंदगी और वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए हर बार आपको ऐसा ही करना होगा नहीं तो अपने आप से डिस्कनेक्शन सबसे ज्यादा खतरनाक है, वो आपको अंदर ही अंदर खाली करने का काम करता है। अपने अंदर की ऊर्जा, क्षमता, एहसास को हमेशा ज़िंदा रखना है। इसलिए तेज़ होने की रेस में अपने आप को थोड़ा वक्त ज़रूर दीजिए।

मनुस्मृति लखोत्रा

 

Image courtesy- Pixabay