बसंत का खुशनुमा मौसम…चारों ओर अपनी खूबसूरती का रंग बिखेरती फिज़ाएं…प्यार भरे मधुर गीत गुनगुनाते पंछी, अरे जनाब सिर्फ यही नहीं बर्फीले पहाड़ों से आती ठंडी पवन भी राग नयां जब कोई छेड़ जाती है तो ऐसे में वो दिन आता है जिसका दो प्यार करने वालों को बेसब्री से इंतज़ार होता है।
जी हां, अपने जज्बातों को जो ज़ुबां से बयां न सके वो इस दिन अपने दिल का हाल बयां कर डालते हैं। यहां हम बात कर रहे हैं प्यार के इज़हार के दिन यानि वेलेंटाइन डे की….जी हां, ये वही दिन है जब दो धड़कते दिल, किसी को आंखो ही आंखो में अपना बना लेते हैं और तब लब कह उठते हैं हां वो तुम्हीं तो हो…
सिर्फ 14 फरवरी ही नहीं ये पूरा महीना ही प्यार के रंग में रंगा होता है…इस महीने लोग फूल और तोहफे देकर अपने प्यार का इज़हार करते हैं। दूसरे ऐसे कई देश हैं जहां इस दिन को अलग नामों से मनाया जाता है। जैसे चीन में ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’, जापान और कोरिया में ‘वाइट डे’ के नाम से इस दिन को मनाया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि वेलेनटाइंस डे कब से और क्यों मनाया जाने लगा ?
इसके पीछे एक बहुत ही चर्चित कहानी है दरअसल रोम में तीसरी सदी में क्लॉडियस नाम के राजा का राज हुआ करता था। क्लॉडियस का मानना था कि विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि का खत्म हो जाती है। अपनी इसी सोच की वजह से उसने पूरे राज्य में यह आदेश जारी कर दिया कि उसका कोई भी सैनिक या अधिकारी शादी नहीं करेगा, लेकिन संत वेलेंटाइन ने क्लॉडियस के इस आदेश पर कड़ा विरोध जताया और पूरे राज्य में लोगों को विवाह करने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने कितने ही सैनिकों और अधिकारियों का विवाह करवाया। अपने आदेश का विरोध देख आखिर क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन् 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया। तब से दो दिलों के मिलवाने वाले संत वेलेंटाइन की याद में यह दिन मनाया जाने लगा व उन्हीं के नाम से ये दिन वेलेंटाइन हो गया।
मनुस्मृति लखोत्रा