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धर्म एवं आस्थाः गृह प्रवेश से पहले वास्तु पूजा क्यों करवाई जाती है, जानें कारण ?

वास्तु शास्त्र एवं वेदों के अनुसार नए घर में प्रवेश करने से पहले ग्रह प्रवेश पूजा करवाना अनुवार्य कहा गया है, ताकि किसी भी तरह की दिक्कत या परेशानी का सामना न करना पड़े। क्योंकि कोई भी इंसान घर बड़ी ही मेहनत व उम्मीदों के साथ बनाता है ताकि सुखी-सुखी वह अपनी तमाम ज़िंदगी अपने घर में गुजार सके।

शास्त्रों के अनुसार गृह प्रवेश के तीन प्रकार होते हैः-

अपूर्व- जब कोई व्यक्ति अपने नए घर में पहली बार प्रवेश करता है तो तब करवाई जाने वाली पूजा को अपूर्व गृह प्रवेश पूजा कहते हैं।

सपूर्व- जब किन्हीं कारणों से या कुछ समय के लिए किसी व्यक्ति व उसके परिवार को दूसरे शहर में जाकर रहना पड़ता है जिस वजह से उसे अपने घर को खाली छोड़ना पड़ता है ऐसे में दोबारा वहां रहने से पहले जो पूजा विधि होती है, उसे सपूर्व गृह प्रवेश कहते हैं।

द्वान्धव- जब किसी व्यक्ति या परिवार को किसी परेशानी या किसी आपदा के कारण अपना घर को छोड़ना पड़ता है और उस घर में दोबारा प्रवेश करने पर जो पूजा करवाई जाता है उसे द्वान्धव गृह प्रवेश कहा जाता है।

वास्तु पूजा किसके लिए की जाती है ?

असल में वास्तु पूजा वास्तु देवता के लिए की जाती है। यह पूजा पहली बार घर में प्रवेश करने से पहले घर के बाहर की जाती है। इसमें घर के मुख्य द्वार पर तांबे के कलश में पानी के साथ नौ प्रकार के अनाज और एक रुपये का सिक्का रखा जाता है। फिर एक नारियल को लाल कपड़े से लपेट कर उसे कलश के ऊपर रखा जाता है। उस कलश की पूजा करने के बाद घर के दंपत्ति उस कलश को उठा कर घर के अंदर ले जाते है और हवन कुंड के पास उसकी स्थापना कर देते है।

वास्तु शांति-

ग्रह प्रवेश की पूजा में वास्तु शांति का हवन किया जाता है। हवन करने से ग्रहों के हानिकारक प्रभाव और किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव दूर रहते हैं और घर में सुख और शांति बनी रहती हैं। वास्तु शांति की पूजा में वास्तु भगवान के साथ-साथ भगवान गणेश, भगवान सत्यनारायण और देवी लक्ष्मी आदि की भी पूजा की जाती है। पूजा के बाद दक्षिणा और भोजन करवाने का भी विधान है। घर की सुख-शांति के लिए वास्तु शांति होना बेहद ज़रूरी है ताकि अगर घर बनाते समय कोई वास्तु दोष हो भी जाए तो उससे बचने ले लिए भी पूजा होनी ज़रूरी है।