ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव, सुख-दुख का आना जाना लगा रहता है, सोचिए ज़रा अगर ये भी हमारे पास न हों तो ज़िंदगी में सब अच्छा ही अच्छा एक दम बेमानी सा लगेगा। ज़िंदगी में आती परेशानियां हमें कोई न कोई नसीहत भी तो देकर जाती हैं। ठीक वैसे ही ज़िंदगी के अलग-अलग पड़ाव में अच्छे-बुरे, दोनों तरह के लोग भी हमारी ज़िंदगी में आते हैं। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो ज़िंदगी भर आपके संग रहते हैं, आपकी स्मृतियों में, आपके हर अच्छे-बुरे काम में आपका साथ निभाते हैं, अच्छे मित्र व अच्छे मार्गदर्शक भी होते हैं। लेकिन ज़िंदगी में कई तरह के बदलाव के आने से कुछ अच्छे लोग या अच्छे दोस्त अक्सर बिछड़ जाया करते हैं लेकिन अतीत के गर्भ में सिमटी यादें हमेशा उनके होने का अहसास दिलाती हैं,,, कि आज भी जब भी मैं डगमगाऊं वो साथ होंगे..एकदम परछाईं बनकर..।
ज़िंदगी को निरंतर चलना है..वो रुकेगी नहीं…ऐसे ही रिश्ते नातों में अपनापन, स्नेह, बिखराव आते जाते रहते हैं। जिन्हें हम न ही पकड़कर रख सकते हैं, और न ही रोक सकते हैं। बस प्यारी सी यादों को संजोकर रख सकते हैं..और फिर किसी दिन एक चाय पर अचानक मुलाकात होते ही बीते दिनों की कुछ शरारती..पर भोली यादें जब ताज़ा होती हैं तो फिर हंसी, खुशी, ठहाकों के बीच वक्त कैसे गुज़र जाता है पता ही नहीं चलता।
लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही अकेलापन….जब कभी भी आप अकेले हों और आपके पास कोई न हो तो अपने घर की बालकनी से झांककर ठंडी हवा के झोंकों को अपने चेहरे पर महसूस कीजिए…पौधों और फूलों की दुनियां में झांक कर देखिए….चांद को निहारिए..मौसम की ताज़गी को महसूस कीजिए…समुंद्र की लहरों को देखिए….इन हवाओं का मिजाज़ तो देखिए, अपनी ही मस्ती में झूमती हवाएं…सायं-साय करती आती हैं और चेहरे को छूकर भाग जाती हैं, मानों आपका दिल लगाने की कोशिश कर रही हों और आपकी एक मुस्कान का इंतज़ार कर रही हों….वक्त वहुत बड़ी चीज़ है कई बार वक्त कटता नहीं काटना पड़ता है, लेकिन जब सब साथ छोड़ जाते हैं तब भी प्रकृति आपका साथ नहीं छोड़ती…अपनी बेचैनियों को प्रकृति के हवाले करके उनमें खो जायें….उसमें वक्त बितायें…और अपने चेहरे पर पहले सी मुस्कान के साथ सबकुछ वक्त पर छोड़ दें….आप अच्छे हैं तो देखना सब अच्छा होगा…
मनुस्मृति लखोत्रा Image courtesy- Pixabay
Nice article
Thanks Abha for your feedback