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धर्म एवं आस्थाः BSF के जवानों की आस्था का केंद्र हैं नाडेश्वरी माता मंदिर, माता स्वयं करती है जवानों की रक्षा !

धर्म एवं आस्थाः भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो भारतीय सेना की आस्था का केंद्र हैं, ऐसा ही एक मंदिर हैं जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, वो है गुजरात के बनासकांठा में नाडेश्वरी माता का मंदिर। जी हां, सीमा पर पहरा देने वाले हमारे देश के जवान बनासकांठा बॉर्डर पर बसे इस मंदिर में अपनी डियूटी ज्वाइन करने से पहले माथा टेकने ज़रूर जाते हैं। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि मां नाडेश्वरी यहां खुद जवानों की रक्षा करती हैं।

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इसके पीछे एक किस्सा बेहद प्रचलित है। इसके अनुसार 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई के समय भारतीय सेना की एक टुकड़ी पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गई थी और रास्ता भटक गई थी। लेकिन उस टुकड़ी के कमान्डेंट ने माता नाडेश्वरी से मदद की प्रार्थना की, जिसके बाद माता ने दीये की रोशनी के ज़रिए भारतीय सेना की टुकड़ी को रास्ता दिखाया और उन्हें वापिस अपने बेस कैंप तक सकुशल पहुंचाया और किसी भी जवान को एक खरोंच तक नहीं आई। इसके बाद जब युद्ध खत्म हुआ तो कमान्डेंट ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में माता नाडेश्वरी आज भी विराजमान है और किसी भी जवान को कुछ नहीं हो सकता है।

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दरअसल, ये मंदिर बनासकांठा के सुई गांव में बसा हुआ है, जो कि भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर पर स्थित हैं, बॉर्डर पर ये आखिरी गांव हैं। ये क्षेत्र हमेशा बीएसएफ की निगरानी में रहता है क्योंकि इस मंदिर से 20 कि.मी. की दूरी पर पाकिस्तान की सीमा शुरु होती है।