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Way to Spirituality: सत्संग क्या है ? क्यों करना चाहिए हमें सत्संग ? जानिए

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हैं सत्संग- यानि सत्य का संग, जब कुछ लोग सत्य विचारों, जीवात्मा, परमात्मा और प्रकृति की महिमा व रहस्यों की चर्चा करते हैं, ज्ञान की बातें मिल-बैठकर एक-दूसरे के साथ सांझा करते हैं, अच्छे सद्गुणी लोगों की संगती में समय व्यतीत करते हैं और उस दौरान ऐसे शुद्ध विचारों को सुनकर जब आपकी बुद्धि पर सीधा असर पड़े, जिन्हें सुनकर आप विवेकशील बनें, सही रास्ते की ओर अग्रसर हों, आपको ज्ञान की प्राप्ति हो उसे ही सत्संग कहते हैं। ये ज़रूरी नहीं कि सत्संग किसी बड़े सम्मेलन में ही होना संभव है, सत्य, ज्ञान और ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने की बातें तो कहीं भी, कुछ लोग मिल-बैठकर कर सकते हैं उसे भी सत्संग कहते हैं। आजकल लोग किसी धार्मिक कथा को सुनने जाना या कोई धार्मिक अनुष्ठान को ही सत्संग मानते हैं। हम असल में सत्संग की गंभीरता व गहराई को नहीं समझते कि सही मायनों में हमारे लिए सत्संग सुनना कितना ज़रूरी है, इसे हम मानसिक खुराक भी कह सकते हैं, जो समय-समय पर हमें ऊर्जावान बनाती है।

किसी के भी ह्रदय में ईश्वर की सत्ता, ईश्वर का आकार-प्रकार, रूप-रंग, साकार-निराकार कैसा भी हो सकता है। ये उसकी ईश्वर के प्रति श्रद्धा पर निर्भर करता है कि वह ईश्वर को किस नज़रीए से देखता है। इस बारे में सोचने-विचारने के लिए हर कोई आज़ाद है व निष्पक्ष होकर आपने विचार व अपनी भावनाएं रख सकता है।

दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र व वेदों को पढ़ने व सुनने में समय व्यतीत करना व अपनी ज़िंदगी को उनके अनूरूप घड़ना भी सत्संग का एक प्रकार हो सकता है। जहां संपूर्ण ईश्वर जगत, आत्मा, शरीर व प्रकृति का संग मिलता है। आपको आपकी हर जिज्ञासा का जवाब भी वहीं से मिल सकता है। जहां आप अध्ययन करते हुए ईश्वर के गुण, कर्म व स्वभाव से भी अच्छे से परिचित हो जाते हैं, आपको ईश्वर के स्वरूप व अपनी आत्मा के स्वरूप का ज्ञान हो जाता है। जहां आप ईश्वर के प्रति आस्था व उपासना करने के लिए खुद ब खुद बाध्य हो जाते हैं।

अब बात कर लेते हैं कि सत्संग करने से हमें लाभ क्या मिलता है?

ईश्वर के संग से किसे लाभ नहीं होता, इससे मन को शांति मिलती है व सभी दुर्विचार दूर हो जाते हैं। ज्ञान की प्राप्ति होती है। ईश्वर के बारे में बात करने से, उनके सान्निध्य में रहने से सब दुख दूर होते हैं। आनन्द की अनुभूति होती है। अच्छी बातों का ज्ञान अर्जित करने से प्रेरणा मिलती है जिनके अनुरूप अच्छे कर्म व आचरण करने से मनुष्य शुभ कर्मों का संचय करता जिससे आशातीत लाभ मिलते हैं।

 

मनुस्मृति लखोत्रा