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Happiness is Free: रिश्ते में ‘पर्सनल स्पेस’ ज़रूर दें, कहीं ऐसा न हो आपका रिश्ता बोझिल बन जाए !

आप किसी से प्यार करते हैं, उनका सम्मान व केयर करते हैं…अच्छा है, लेकिन इसके साथ ही एक-दूसरे को पर्सनल स्पेस देना भी उतना ही ज़रूरी है। प्यार करने की भी एक सीमा होती है जहां सम्मान और विश्वास का गहरा नाता है, यदि वो सीमा सभी दायरों को पार कर जाए जहां शक, एक-दूसरे को हर्ट करने जैसी नैगेटिव चीजें घर कर जाएं तो ऐसे रिश्ते में किसी का भी दम घुटने लगता है…आप ऐसी परिस्थितियां लाते ही क्यों हैं? किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए भरोसा करना सबसे ज्यादा ज़रूरी होता है, जब आपको अपने पार्टनर के ऊपर भरोसा नहीं होता तब आप छोटी-छोटी बात पर भी दूसरे की पर्सनल लाइफ में ताक-झांक करने लग जाते हैं जिसका परिणाम सिर्फ लड़ाई, झगड़ा और मानसिक तनाव होता है।

ज़रा गौर कीजिए अपने ऊपर कहीं ज्यादा शक करने की आपकी आदत आपके रिश्ते को बोझ तो नहीं बना रही ? सबसे पहले आपको पर्सनल स्पेस के मायने समझने होंगे कि ये है क्या और क्यों ज़रूरी है ? पर्सनल स्पेस का मतलब है ‘निजी दायरा’, यानि हरेक की लाइफ, परिवार के अलावा निजी भी होती है, जहां आपके पार्टनर की पसंद-नापसंद, अपने आपको कैरी करने का तरीका, लाइफ को लेकर सोचने का नज़रिया, अपने दोस्त, रिश्तेदार, प्रोफेशन आदि को जीने का नज़रिया और तरीका उनका अपना है। ये हमेशा याद रखें कि आप दोनों एक अलग-अलग परिवार से आकर एक-दूसरे के साथ जुड़े हैं। बचपन से लेकर अब तक जो उनका रहन-सहन रहा है उनको आप चुटकी भर में अपने मुताबिक कैसे चेंज कर सकते हैं। इतने स्वार्थी मत बनें उन्हें थोड़ा वक्त दें, उन पर प्रेशर न डालें…वक्त सबको अपने अनुसार बदल देता है।

कुछ ऐसी आदतें अगर आप में हैं तो समय पर उनमें सुधार करें ताकि आपका रिश्ता प्यार व विश्वास का बनें न कि बोझिल।

  • कहीं आप हर समय अपने पार्टनर का फोन चैक करना, व्हाट्सएप या फेसबुक एकाउंट चैक तो नहीं करते रहते या फिर छिपकर उनकी बातें सुनना भी इसी बात की ओर इशारा करता है कि आप अपने पार्टनर के पर्सनल स्पेस में दखल दे रहे हैं। अगर आपको उनकी किसी बात पर शक है तो आप बैठकर उनसे बात करें। अपने दिल में कुछ न रखें। वक्त रहते दिल में आई दरार खत्म हो जाएगी।
  • व्यवहार में बदलाव से बहुत कुछ समझ सकते हैं आप। अचानक से आपकी बातों पर गौर न करना। बात-बात पर गुस्सा करना। छोटी सी बात पर लड़ने लग जाना। ये बदलाव रिश्तें में खतरे के संकेत है। समय रहते सुलझाने की कोशिश करें व अपने आप को शांत रखें।
  • एक-दूसरे की निजी राय का सम्मान करना। कई बार घर के खर्चों, जिम्मेदारियों या लिविंग स्टाइल को लेकर अक्सर बहस हो जाती है। यही छोटे-छोटे झगड़े एक-दूसरे के आत्म-सम्मान तक को हानि पहुंचाने लगते हैं। ऐसे में आपको चाहिए कि एक-दूसरे की राय या सलाह का सम्मान करें। एक अगर गुस्से में है तो दूसरा चुप कर जाए। एक–दूसरे के साथ बहस करने में कैसा कॉम्पीटीशन? जहां दोनों में से कोई चुप करने या सॉरी बोलने को तैयार ही नहीं है। आखिर जीतना किससे हैं आपको, जिनसे आप प्यार करते हैं, जिनके लिए इतनी मेहनत करते हैं आखिर उनसे झगड़ा कैसा? हां छोटी-मोटी नोंक-झोंक होना भी ज़रूरी है इससे रिश्ते में मजबूती भी आती है लेकिन एक-दूसरे के सम्मान को ठेस पहुंचा कर कतई नहीं।

 

मनुस्मृति लखोत्रा