You are currently viewing “अच्छे-बुरे कर्मों का फल तो भोगना ही पड़ता है”, जब राजा दशरथ को अपनी एक गलती का अहसास हुआ !

“अच्छे-बुरे कर्मों का फल तो भोगना ही पड़ता है”, जब राजा दशरथ को अपनी एक गलती का अहसास हुआ !

धर्म एवं आस्था डैस्कः रामायण हिंदू धर्म के सबसे महान ग्रंथों में से एक है, जिसे पढ़ने या सुनने मात्र से एक अदभुत शांति की प्राप्ति होती है। इसमें वर्णित एक-एक प्रसंग हमें ज़िंदगी जीने व उसे अनुभव करने की कला सिखाता है। इन प्रसंगो से सीख लेकर हम अपने जीवन को सही रास्ते पर चला सकते हैं, रामायण से एक और हमें सबसे बड़ी सीख मिलती है वो तो आप जानते ही हैं कि बुराई के आगे हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है।

कई बार हमारे जीवन में कई ऐसी घटनाएं घटती है जो हमें निराशा की ओर ले जाती हैं और हमें लगने लगता है कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों हुआ, लेकिन सही मायनो में ऐसी घटनाएं हमारे कर्मों का ही नतीजा होती हैं, जिनमें से हमें होकर गुज़रना ही पड़ता है। हमारे अच्छे बुरे कर्म ही हमारा भाग्य बनाते हैं।

tNJY0Pk

भगवान राम के बनवास के समय राजा दशरथ को एहसास हुआ कि अच्छे व बुरे कर्मों के फल से ही भाग्य बनता है। कोई भी व्यक्ति जैसा काम करेगा उसके भाग्य का निर्माण भी वैसा ही होगा। जब श्री राम, सीता और लक्ष्मण के साथ बनवास को चले गए तो राजा दशरथ उनके वियोग में दिन-रात तड़पने लगे। राजा दशरथ ये समझ गए कि ऐसा तो होना निश्चित था इसे वे टाल नहीं सकते थे क्योंकि नियति ने यह सब पहले से ही तय कर रखा था तभी तो उन्हें पुत्र वियोग मिला है। पुत्र राम के चले जाने के बाद उन्हें अपनी गलतियों पर पश्चाताप होने लगा और एक दिन जब वे महारानी कौशल्या के साथ थे तब वे पुत्र राम को याद करके दुख व  पुत्र वियोग की पीड़ा में घिर गए, उन्हें याद आया कि उनसे युवावस्था में श्रवण कुमार की हत्या हुई थी, उनके हाथों बूढ़े व अंधें मां-बाप का इकलौता सहारा छिन गया था। श्रवण के प्राण जाने के बाद उसके मां-बाप ने भी कैसे तड़प-तड़प कर अपने प्राण त्याग दिये थे। मरते वक्त उनके मुंह से एक ही आवाज़ आ रही थी कि “हे राजा दशरथ, जैसे हम अपने पुत्र के वियोग में तड़प-तड़प कर मर रहे हैं ईश्वर करे एक दिन तू भी अपने पुत्र के वियोग में ऐसे ही तड़पे”, इसलिए आज ये उसी श्राप का परिणाम है जो उनके सामने आया है। पुत्र वियोग का असहनीय दुख आज समझ आया कि क्या होता है ?