Poetry Breakfast:- “क़ायनात से परे”

  ये मन भी कमाल की चीज़ है...अगर चाहे तो अपने अंदर समंदर जितना दर्द छुपा ले..लेकिन अगर ये चाहे तो उसी समंदर से अहसासों की गागर भर कुछ इस…

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