Poetry Breakfast: “जज़्बात लौटा दो”
बचपन की छोटी-छोटी यादें कैसे हमारे साथ-साथ चलती हैं न ! अकेलेपन में कभी जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो लगता है मानों ये अभी की तो बात थी....इतने बरस…
बचपन की छोटी-छोटी यादें कैसे हमारे साथ-साथ चलती हैं न ! अकेलेपन में कभी जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो लगता है मानों ये अभी की तो बात थी....इतने बरस…
अध्यात्म डैस्कः- जिसने जन्म लिया है उसका मरना भी निश्चित है। लेकिन हम रोजाना की ज़िंदगी में जो कर्म कर रहे हैं उसके चलते हम ये भूल जाते हैं कि…