यादग़ार लम्हेंः जिनकी आवाज़, संगीत और धुन के बिना 1987 में आयी रामायण का ज़िक्र अधूरा है, वो हैं महान संगीतकार रविन्द्र जैन Post author:Manusmriti Lakhotra Post published:3rd March 2020 Post category:यादगार लम्हें रामायण का ज़िक्र आते ही रामानंद सागर द्वारा निर्मित रामायण की याद ताज़ा हो जाती है…ये दूरदर्शन का वो सुनहरा दौर था जब घर घर रामायण आंखों से नहीं बल्कि दिल से देखी जाती थी….। उन दिनों पूरे गांव या मोहल्ले में एक ही घर में टीवी हुआ करता था….आलम ये था कि आसपास के लोग रामायण देखने के लिए उसी एक घर में इकट्ठे हो जाया करते थे और टीवी के सामने रामायण शुरू होने से पहले ही हाथ जोड़कर बैठ जाया करते थे….उस रामायण में क्या नहीं था…..भक्ति रस घोलते गीत, चौपाई….रामायण के किरदारों द्वारा पेश की गई बेहतरीन अदायगी…इमोशन्स…लेकिन इन सबका आधार बनाता रामायण का वो इंट्रो सॉन्ग..जो भक्तिमयी आवाज़ के सम्राट रविन्द्र जैन की सुरीली और ऊंची आवाज़ के साथ होता था…उनकी आवाज़ में सुरीलापन, भक्ति रस, स्नेह, गंभीरता और गूंज ऐसी कि मानों जैसे बादलों को चीरती हुई सीधा श्री राम तक जा पहुंचती होगी…. Please Like, Subscribe our website & YouTube ChannelThanks & Regards , Manusmriti lakhotra You Might Also Like यादग़ार लम्हेः वो दौर कुछ और ही था जब फिल्मी गीतों में सावन झूमता था और बरखा की फुहार कुछ भीगी यादें ताज़ा कर जाती थी…! 23rd July 2019 यादगार लम्हेंः 60 के दशक की हिट-गर्ल आशा पारेख के शादी न करने का कारण क्या था ? आखिर वो किसे चाहती थीं ! आइए जानते हैं… 27th May 2019 यादगार लम्हें: वो गीत जिसने ज़िंदगी से रूबरू कराया, आज भी करोड़ों दिलों में धड़कता हैं, “इक प्यार का नग़मा है”… 12th September 2019
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