Poetry Breakfast: A poem on ‘CORONAVIRUS’ “नमस्ते तू उसे कहना” !

(कविता) “नमस्ते तू उसे कहना” ! कोरोना का कहर जब तक है सबसे दूर ही रहना । मिलाना हाथ कोई चाहे नमस्ते तू उसे कहना ।। तू रहना बन्द कमरे…

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यादग़ार लम्हेंः उनकी मखमली और भारीपन लिए हुए आवाज़ में प्यार के दर्द को बयां करने का एक ऐसा तिलिस्म था जिसने भी सुना वो ठगा रह गया !

File: चिट्ठी न कोई संदेस, न जाने वो कौन सा देस, कहां तुम चले गए... जी हां ग़ज़ल की दुनियां के वो फनक़ार जिनकी आवाज़ का जादू ऐसा चला कि…

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Poetry Breakfast:- “क़ायनात से परे”

  ये मन भी कमाल की चीज़ है...अगर चाहे तो अपने अंदर समंदर जितना दर्द छुपा ले..लेकिन अगर ये चाहे तो उसी समंदर से अहसासों की गागर भर कुछ इस…

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Poetry Breakfast: “कहीं पे धूप की चादर बिछा के बैठ गए, कहीं पे शाम सिरहाने लगा के बैठ गए”: गज़लकार दुष्यंत कुमार

1. हुज़ूर आरिज़-ओ-रुख़्सार क्या तमाम बदन मिरी सुनो तो मुजस्सम गुलाब हो जाए उठा के फेंक दो खिड़की से साग़र-ओ-मीना ये तिश्नगी जो तुम्हें दस्तियाब हो जाए वो बात कितनी…

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Poetry Breakfast: जिनकी कविताओं का सुरूर जब चढ़ता है तो दिल से सिर्फ एक ही आवाज़ आती है “कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है”: कुमार विश्वास

हिंदी काव्य मंचों से अपनी पहचान बनाने वाले लोकप्रिय कवि डॉ. कुमार विश्वास जिनकी कविताएं हर युवा के दिल में बसती है। उनका कविताओं और शायरी में संवाद पेश करने…

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Poetry Breakfast: जब खूबसूरती चांदी और सोने जैसी लगने लगे तो वहीं से गज़ल बनती है “चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल”…

ये दौर भी बेहद खूबसूरत था जब महान गज़ल गायक पंकज उधास ने 1980 के दशक में एक अलग किस्म की गज़ले पेश की। उस समय ग़ज़ल गाने वाले कई…

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