Happiness is Free: हमारा शौंक क्या हुआ कितने बेजुबानों की जान ही ले गया, मिट्ठू…मिट्ठू !

हम तो ज़मीं के थे, और ये आसमान परिंदों का जहां था, हमने पैर तो खूब पसारे लेकिन किसी के समंदर, नदिया तक जीत कर चले तो किसी के जंगल…

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