स्वामी तुलसीदास द्वारा रचित गीतावली के कुछ अंश
आज सुदिन सुभ घरी सुहाई राग आसावरी आजु सुदिन सुभ घरी सुहाई | रूप-सील-गुन-धाम राम नृप-भवन प्रगट भए आई || अति पुनीत मधुमास, लगन-ग्रह-बार-जोग-समुदाई | हरषवन्त चर-अचर, भूमिसुर-तनरुह पुलक जनाई…
आज सुदिन सुभ घरी सुहाई राग आसावरी आजु सुदिन सुभ घरी सुहाई | रूप-सील-गुन-धाम राम नृप-भवन प्रगट भए आई || अति पुनीत मधुमास, लगन-ग्रह-बार-जोग-समुदाई | हरषवन्त चर-अचर, भूमिसुर-तनरुह पुलक जनाई…
श्रीमद्भाभगवत गीता में छिपा है जीवन का सार, जिसे स्वयं श्री कृष्ण ने अर्जुन को समझाया। ये ग्रंथ दुनियां के श्रेष्ठ ग्रंथों में से एक हैं। गीता शास्त्र द्वारा हमें…