प्रार्थना क्या है ?
प्रार्थना, हमें उस निराकार पारब्रंह्म का आभास कराती है जिसके आगे हम नतमस्तक हो जाते हैं और स्वीकार करते हैं कि कोई तो ऐसी दिव्य शक्ति है जो इस पूरे ब्राह्मांड को रोशन किए हुए है…कोई तो ऐसी शक्ति है जिसके पास इस समुचे ब्राह्मांड का बटन है। अपने आराध्य के सामने अपने मन व ह्रदय की बात कहना प्रार्थना है। प्रार्थना ईश्वर के गुण ग्रहण करने का एक बहुत बड़ा तथा सटीक माध्यम भी है। अपने ह्रदय और मस्तिष्क को खाली कर, अपने सभी अहंकार को त्याग कर ही प्रार्थना की जाती है। प्रार्थना के माध्यम से व्यक्ति अपने या दूसरों की इच्छापूर्ति का प्रयास करता है। तंत्र, मंत्र, ध्यान और जप भी प्रार्थना का ही एक रूप है। असल में जब हम प्रार्थना करते हैं तो हम अपने अहम का दमन करते हैं जिससे हमारे मन के कलुषित विचार दूर हो जाते हैं और हमारा मन पवित्र हो जाता है, प्रार्थना करते वक्त हमारी आंखों से छलके आंसू हमारा अंतर्मन व मस्तिष्क में पड़ा हरेक प्रकार का कचरा बाहर निकाल देते हैं जिससे हमारे शरीर का डिटॉक्सीफिकेशन होता है, क्योंकि प्रार्थनाएं हीलिंग टच का काम करती हैं, जिससे हमें बल, संबल व सुख मिलता हैं। जिससे हमारा शरीर स्वस्थ, पवित्र, प्रफुल्लित और तरोताज़ा होकर फिर से ऊर्जावान होता है। जो लोग प्रार्थना नहीं करते असल में वे अपने अहम का त्याग नहीं करते और अपने आराध्य के साथ संवाद का अनुभव ग्रहण नहीं कर पाते। प्रार्थनाएं हमें संगठित करती हैं इसीलिए सामूहिक तौर पर की गयी प्रार्थनाएं महज धार्मिक क्रियाकलाप नहीं होते बल्कि जल्दी परिणाम दिखाती हैं। प्रार्थनाएं हमें संतोष करना सिखाती हैं व तनावमुक्त रखती हैं, हम कह सकते हैं कि प्रार्थना एक ऐसी प्रक्रिया है जो आत्मा को परमात्मा के पथ पर लेकर जाती हैं।
प्रार्थना काम कैसे करती है ?
दरअसल, प्रार्थना सूक्ष्म स्तर पर कार्य करती हैं और प्रकृति को तथा आपके मन को समस्याओं के अनुरूप ढाल देती हैं। कभी-कभी बहुत सारे लोगों द्वारा की गयी प्रार्थना बहुत जल्द परिणान पैदा करती है। ऐसी दशा में प्रकृति में तेजी से परिवर्तन होने शुरू हो जाते हैं।
क्यों नहीं स्वीकृत होती प्रार्थना ?
व्यवसाय और लेन-देन की तरह की प्रार्थना असफल होती है
आहार और व्यवहार पर नियंत्रण न रखने से भी प्रार्थना अस्वीकृत होती है।
अपने माता-पिता का सम्मान न करने से भी प्रार्थना अस्वीकृत होती है।
अगर प्रार्थना से आपका नुकसान होता है तो भी प्रार्थना अस्वीकृत हो जाती है।
अतार्किक प्रार्थना भी अस्वीकृत होती है।
क्या है प्रार्थना के नियम ?
- सही तरीके से की गयी प्रार्थना जीवन में चमत्कारी बदलाव ला सकती है।
- प्रार्थना सरल और साफ तरीके से की जानी चाहिए
- यह उसी तरीके से होनी चाहिए जिसे आप आसानी से रह सकें।
- शांत वातावरण में, विशेषकर मध्य रात्रि में प्रार्थना जल्दी स्वीकृत होती है।
- प्रार्थना एकांत में करें, और निश्चित समय पर करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
- दूसरे के नुकसान के उद्देश्य से और तार्किक प्रार्थना न करें।
- अगर दूसरे के लिए प्रार्थना करनी हो तो पहले उस व्यक्ति का चिंतन करें, तब प्रार्थना करें।
कैसे करें प्रार्थना ?
- एकांत स्थान में बैंठे
- अपनी रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें।
- पहले अपने ईष्ट, गुरू या ईश्वर का ध्यान करें।
- फिर जो प्रार्थना करनी हैं करें
- अपनी प्रार्थना को गोपनीय रखें।
- बार-बार जब भी मौका मिले, अपनी प्रार्थना दोहराते रहें।
प्रार्थना हमें ईश्वर से सिर्फ इसलिए नहीं करनी चाहिए कि हमें उनसे कुछ मांगना है बल्कि ईश्वर ने हमें जो कुछ भी दिया है उसके लिए हमें धन्यवाद करने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। अगर हम देखें तो बहुत कुछ खूबसूरत है हमारे आसपास जो हमें बिन मांगे ही मिला है।
धन्यवाद
संपादकः मनुस्मृति लखोत्रा