होली सिर्फ रंगों का त्योहार ही नहीं नाच, गाना और ढेर सारी खुशियों का त्योहार है। वैसे इसबार होली 21 मार्च, 2019 को है। 20 मार्च को होलिका दहन से अगले दिन होली खेली जाएगी। जिसकी तैयारियां तो आप कर ही चुके होंगे…खासतौर पर बच्चे तो होली से काफी दिन पहले से ही अपनी मनपसंद पिचारियों और रंगों की फरमाईश अपने पेरेंट्स से कर देते हैं, कई बच्चे तो पहले से खरीद कर एक-दूसरे पर पिचकारियों से पानी बरसाना शुरु कर देते हैं। लिहाज़ा आप सब घर और ऑफिस में भी होली के जश्न की तैयारियों में जुटे होंगे। ऐसे में होली को गीतों से सराबोर करते आये फिल्मी गीतों को हम कैसे भूल सकते हैं। जिन्हें सुने बिना त्योहार के जश्न का मज़ा अधूरा है…
लिहाज़ा हम आपको कुछ यादगार फिल्मी गीतों से रूबरू करवाने जा रहें हैं जो होली के खास मौके पर आप भी अपने घर और ऑफिस में बजाकर इस रंग-बिरंगे खूबसूरत त्योहार के जश्न को और भी यादगार बना सकते हैं। आपके लिए पेश है हमारा भी मनपसंद ये गीतः-
1958 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया’, ‘होली आई रे कन्हाई रंग बरसे’

बॉलीवुड ने भी अब तक हमारी संस्कृति, रीति-रिवाज़ों, व्रत और हमारे सभी त्योहारों को संजोकर रखने का काम किया है, समय-समय पर बॉलीवुड ने हमारे त्योहारों पर कई ऐसे सूपरहिट और यादगार गीत दिए जिनके बिनां हमारे त्योहारों के जश्न अधूरे हैं, सबसे खास बात ये है कि बॉलीवुड ने त्योहारों पर कई ऐसे रुहानी गीत दिए जिन्होंने सच में हमारे त्योहारों की गरिमा को बड़े ही खूबसूरत ढंग से हमारे सामने पेश किया और
उन त्योहारों को मनाए जाने के पीछे के महत्व को भी हर बार हमें याद दिलाया, जैसे कि ये गीत अपना कोई फर्ज़ निभा रहे हों।

आइए सुनते हैं श्री कृष्ण और राधा के प्रेम और नटखट लीलाओं से सराबोर करता वी शांताराम की फिल्म ‘नवरंग’ का ये खूबसूरत गीत जिसे सुनकर आज भी आप झूमने को मजबूर हो जाएंगे- ‘अरे जा रे नटखट’हमारे देश में मनाए जाने वाले हरेक त्योहार और उत्सव के पीछे कई पौराणिक कथाएं एवं परंपराएं छिपी हैं और साथ ही सबसे गहरा उद्देश्य एक-दूसरे के साथ प्यार और भाईचारे का प्रतीक है। इन्हीं त्योहारों पर बधाई देने के बहाने रूठे हुओं को हम मना लेते हैं। कितने ही परिवारों में आई दूरियां फिर से नज़दीकियों में बदलने लगती हैं।

तो फिर आइए इसी बात पर सुनते हैं होली पर एक और खूबसूरत सा गीत जो कि 70 के दशक में आई फिल्म ‘कोहिनूर’ का है…जिसके बोल हैं ‘तन रंग लो जी आज मन रंग लो’…
अभी हम सुनते हैं 70 के दशक में आयी राजेश खन्ना और आशा पारेख स्टारर फिल्म ‘कटी पतंग’ का गीत ‘आज न छोड़ेंगे हमजोली’…
दरअसल, ये गीत उस समय विधवा कुप्रथा की बुराईयों के बंधन को तोड़ते हुए प्रेम का प्रतीक बना।

सिर्फ इतना ही नहीं….एक-दूसरे को शुभकामनाएं देना, मिठाई बांटना, मिलकर त्योहार मनाना, घर की साफ-सफाई करके घर को सजाना, नए-नए कपड़े पहनना, एक साथ घूमने जाना या शॉपिंग करना, मिलकर पूजा करना आदि ये सब हमारे संस्कारों में शामिल हैं जिनके हमें वैज्ञानिक दृष्टि से भी कई फायदे होते हैं। हमारे पूर्वजों ने ये संस्कार यूं ही शुरु नहीं किए थे इसके पीछे कई तरह के कारण थे, जैसे ज़ाहिर सी बात है त्योहार मनाने के बहाने हमारी ज़िंदगी में नई ऊर्जा का संचार होता है, हम अपने घर की अच्छे से साफ-सफाई करते हैं, व्हाइट-वॉश करवाते हैं जिस वजह से घर से गंदगी तो साफ होती ही है साथ ही घर से दरिद्रता भी निकलती है। घर में व्रत, तप पूजा हवन आदि करने से घर की वायू शुद्ध होती है साथ ही हमारे अंदर भी सकारात्मकता आती है। हम नए-नए कपड़े या सामान आदि खरीदते हैं तो इनसे भी हमारे अंदर उत्साह आता है, रोज़ाना की लाइफ से थोड़ा ब्रेक मिलता है तो हमें अच्छा लगता है एक अलग सी खुशी और ऊर्जा संचार होता है। इसी बहाने हम घूमने जाते हैं तो हमारा ध्यान चिंताओं से दूर होता है और मैंटल स्ट्रेस कम होता है जिसे हम साईकोलोजीकली फायदों के साथ भी जोड़कर देख सकते हैं।
आइए सुनते हैं हम सबका पसंदीदा ये गीत “रंग बरसे रे भीगे चुनर वाली..रंग बरसे”….

theworldofspiritual.com की ओर से आप सब को होली की ढ़ेरों शुभकामनाओं के साथ चलते-चलते आपके लिए पेश है ये गीत….“बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी”…

मनुस्मृति लखोत्रा