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नवरात्रि में नौ दिन तक किन देवियों की पूजा की जाती है, जानिए ?

धर्म एवं आस्था डैस्कः नवरात्र शक्ति महापर्व वर्ष में चार बार मनाया जाता है। चैत्र, आषाढ़, अश्विन, माघ लेकिन ज्यादातर इन्हें चैत्र व अश्विन नवरात्र में ही मनाया जाता है। शक्ति साधना में मुख्य रूप से नौ देवियों की साधना, तीन महादेवियों की साधना और दश महाविद्या की साधना आदि का विश्व महत्व है। नौं दिनों तक किन देवियों की पूजा की जाती है आईए जानते हैं उनके नाम।

पहली शैलपुत्री कहलावे- इसका अर्थ है- पहाड़ों की पुत्री।

दूसरी ब्रह्मचारिणी मन भावे- इसका अर्थ है- ब्रह्मचारिणी।

तीसरी चंद्रघंटा शुभनाम- इसका अर्थ है- चांद की तरह चमकने वाली।

चौथी कूष्मांडा सुखधाम- इसका अर्थ है- पूरा जगत उनके पैर में है।

पांचवीं देवी असकन्ध माता- इसका अर्थ है- कार्तिक स्वामी की माता।

छटी कातयायनी विख्याता- इसका अर्थ है- कात्यायन आश्रम में जन्मी।

सातवीं देवी कालरात्री महामाया- इसका अर्थ है- काल का नाश करने वाली।

आठवीं महागौरी जगजाया- इसका अर्थ है- सफेद रंग वाली महाशक्ति मां।

नौवीं सिद्धीधात्री जगजाने- इसका अर्थ है- सर्व सिद्धि देने वाली मां।

देवी के नौ रूपों की क्या है महिमा

वैसे तो मां भगवती की महिमा अपरमपार है लेकिन उनके भिन्न रूपों की उपासना का भी विशेष महत्व है। नवरात्र में दसमहाविद्या साधनाओं से देवियों को प्रसन्न किया जाता है। दसमहाविद्या की देवियों में क्रमश दशरूप- काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी (पिताम्बरा), मातंगी, कमला है। प्रत्येक विद्या अलग-अलग फल देने वाली और सिद्धि प्रदायक है। दशमहाविद्याओं की प्रमुख देवी व एक महाविद्या महाकाली हैं। दसमहाविद्या की साधना में बीज मंत्रों का विशेष महत्व है। जो इन दिनों देवियों के बीजमंत्रों के साथ पूजा व उपासना करता है उन्हें मनवांछित सिद्धी प्रदान होती है। दक्षिण में दसमहाविद्याओं के मंदिर भी हैं और वहां इनकी पूजा का आयोजन बड़े पैमाने पर पूरे हर्ष व उल्लास के साथ किया जाता है।