अक्सर दूसरों से की गई अपेक्षाएं तब हमारे दुख का कारण बन जाती हैं जब वह पूरी नहीं होती, इसलिए दूसरों से हमें अपेक्षाएं नहीं करनी चाहिए…पर दिल है कि मानता ही नहीं और हम फिर भी अपेक्षाओं के समंदर में गोता लगाते रहते हैं…और इन्हीं अपेक्षाओं के जंगल में इस क़दर भटक जाते हैं कि हमें हरेक से शिकायत होने लगती है कि किसी को मेरी कोई फिक्र ही नहीं….!

अब ऐसे में सवाल ये है कि आप कितने सही हैं ? या आपकी अपेक्षाएं कितनी सही हैं दूसरों पर थोपने के लिए ? क्या कभी आपने ये सोचा है जैसे आप दुनियां में दूसरों के अनुसार जीने के लिए नहीं पैदा हुए हैं वैसे ही दूसरे भी आपकी अपेक्षाओं के अनुसार जीने के लिए पैदा नहीं हुए हैं ? इसलिए आपके लिए बेहतर यही है कि अपने दीमाग से एक झूठे मायाजाल का पर्दा हटा दीजिए और सच से रूबरू हो जाएं…और सच ये है कि सबसे पहले आपको अपने आप से सहमत होना होगा…जिससे आपको दूसरों की सहमति की कम ज़रूरत पड़ेगी। अपनी तुलना दूसरों से भी न करें और न ही दूसरों की सफलता से जलें..अपने दिल को बड़ा कीजिए… बड़ा सोचिए.. ऐसी छोटी-छोटी बातों के पीछे अपने आप को परेशान करने के लिए इस धरती पर पैदा नहीं हुए हैं आप…बल्कि आप अपने सपनों को पूरा करने की सोचिए..अपनी एक अलग राह चुनें…अपने उद्देश्यों और लक्ष्यों के प्रति ईमानदार रहें फिर देखना तब आपको दूसरों से सहारा और हमदर्दी खोजने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी…।
अपने आप को सम्मान देना शुरू करें…
आप जो भी हैं..जैसे भी हैं…वो आप हैं…आप जैसा दुनियां में और कोई है ही नहीं…जो कला या हुनर आपमें है वो सिर्फ आपमें हैं आपका यही गुण आपको दुसरों से अलग बनाता है…..तो हुए न आप सबसे कीमती ! इसलिए सबसे पहले ईश्वर का शुक्रिया अदा करें और अपने आप को प्यार व सम्मान की दृष्टि से देखें…और खुद पर विश्वास रखकर अपने सोचे हुए काम को पूरा करने की प्रबल इच्छाशक्ति रखें..और उसे पूरा करें।
हर कोई आपके अनुसार चले…
ऐसा संभव नहीं है कि हर कोई आपके कहने के मुताबिक चले…हरेक की अपनी पसंद ना पसंद होती है….दूसरो पर अपना अधिकार जताना बंद करें बल्कि अपने व्यवहार में सौम्यता लाएं…दूसरों को समझें…उनके साथ अपने विचार शेयर करें…क्योंकि दूसरों से अपनी बात मनवाने का बहतरीन तरीका यही है कि आप पहले दूसरों के विचारों का सम्मान करें…उनकी पसंद-नापसंद को अच्छी तरह समझें। यदि आप किसी दूसरे को अपने अनुसार बदलना चाहते हैं तो ऐसा भी संभव नहीं है इसलिए जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करें तो आपकी अपेक्षाएं आपको परेशान नहीं करेंगी। परेशानियां हरेक के जीवन में आती हैं इसलिए हर वक्त दूसरों से ये अपेक्षा भी न करे कि वे हर समय आपको अच्छे मूड में ही मिले..दूसरे भी किसी परेशानी में घिरे हो सकते हैं।
सब आपसे प्यार करें…
अगर आप ये सोचते हैं कि सभी आपको प्यार करें…तो ऐसा संभव नहीं हैं…सबकी अपनी पसंद-नापसंद होती है, ये बात हमेशा याद रखें कि भले ही आपका व्यवहार सबके साथ बहुत अच्छा हो लेकिन आप सबको खुश नहीं रख सकते। हो सकता है कि आपकी कुछ बातें दूसरों को अच्छी न भी लगती हों.. जिस वजह से हो सकता है कि कोई एक व्यक्ति आपको न भी चाहता हो, लेकिन किसी को आप बेहद प्रिय भी तो होंगे इसलिए आप अपना समय ऐसे लोगों को दें जो आपको सम्मान देते हों..प्यार करते हों और हां एक सबसे खास बात कि दूसरों के पर्सनल स्पेस में कभी दखल न करें….सबको हक है अपने तरीके से जीने का…जितना कि आपको है…इसलिए दूसरों से अपेक्षाएं करने की बजाए पहले ये सोचें कि आप खुद दूसरों के लिए क्या कर रहे हैं ?
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