You are currently viewing Religion & Faith: “Navratri Special” असल में “दुर्गा सप्तशती पाठ” कैसे किया जाना चाहिए ?

Religion & Faith: “Navratri Special” असल में “दुर्गा सप्तशती पाठ” कैसे किया जाना चाहिए ?

कहते हैं शक्ति की यदि साधना करनी हो तो दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) के 13 पाठों का विशेष महत्व है। वैसे नवरात्र (Navratri) के नौ दिनों में मां दुर्गा की साधना यदि पूरे विधि विधान के साथ की जाए तो बेहद फलदायी होती है और मां दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों को शीघ्र आशीर्वाद देती हैं।

खास है दुर्गा सप्तशती
श्री दुर्गा सप्तशती नारायण वतार श्री व्यासजी द्वारा रचित महापुराणों में मार्कण्डेयपुराण से ली गई है. इसमें सात सौ पद्यों का समावेश होने के कारण इसे सप्तशती कहा गया है. दुर्गा सप्तशती में 360 शक्तियों का वर्णन है. इसके 700 श्लोकों को तीन भागों में बांटा गया गया है. इसमें महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की महिमा का वर्णन है. मां जगदंबे की साधना के लिए किए जाने वाले दुर्गा सप्तशती के 13 पाठों का अपना विशेष महत्व है.

इसमें अलग-अलग पाठ अलग-अलग बाधाओं के निवारण के लिए किए जाते हैं। आइए जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे किया जाना चाहिए।

श्री दुर्गा सप्तशती
श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ करने का अलग विधान है। संपूर्ण दुर्गा सप्तशती स्वर विज्ञान का एक हिस्सा है। कुछ अध्यायों में उच्च स्वर, कुछ में मंद और कुछ में शांत मुद्रा में बैठकर पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है। जैसे कीलक मंत्र को शांत मुद्रा में बैठकर मानसिक पाठ करना श्रेष्ठ है। देवी कवच उच्च स्वर में और श्रीअर्गला स्तोत्र का प्रारम्भ उच्च स्वर और समापन शांत मुद्रा से करना चाहिए। देवी भगवती के कुछ मंत्र यंत्र, मंत्र और तंत्र क्रिया के हैं।

वाकार विधि: 
प्रथम दिन एक पाठ प्रथम अध्याय, दूसरे दिन दो पाठ द्वितीय, तृतीय अध्याय, तीसरे दिन एक पाठ चतुर्थ अध्याय, चौथे दिन चार पाठ पंचम, षष्ठ, सप्तम व अष्टम अध्याय, पांचवें दिन दो अध्यायों का पाठ नवम, दशम अध्याय, छठे दिन ग्यारहवां अध्याय, सातवें दिन दो पाठ द्वादश एवं त्रयोदश अध्याय करके एक आवृति सप्तशती की होती है। 

संपुट पाठ विधि: 
किसी विशेष प्रयोजन हेतु विशेष मंत्र से एक बार ऊपर तथा एक नीचे बांधना उदाहरण हेतु संपुट मंत्र मूलमंत्र-1, संपुट मंत्र फिर मूलमंत्र अंत में पुनः संपुट मंत्र आदि इस विधि में समय अधिक लगता है। लेकिन यह अतिफलदायी है। अच्छा यह होगा कि आप संपुट के रूप में अर्गला स्तोत्र का कोई मंत्र ले लीजिए। या कोई बीज मंत्र जैसे ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं दुर्गायै नम: ले लें या ऊं दुर्गायै नम: से भी पाठ कर सकते हैं। 
नवरात्र पूजा विधि
सर्वप्रथम- देवी भगवती को प्रतिष्ठापित करें। कलश स्थापना करें। दीप प्रज्ज्जवलन करें। ( अखंड ज्योति जलाएं यदि आप जलाते हों या जलाना चाहते हों)
ध्यान- सर्वप्रथम अपने गुरू का ध्यान करिए। उसके बाद गणपति, शंकर जी, भगवान विष्णु, हनुमान जी और नवग्रह का।

पाठ विधि
संकल्प- श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले भगवान गणपति, शंकर जी का ध्यान करिए। उसके बाद हाथ में जौ, चावल और दक्षिणा रखकर देवी भगवती का ध्यान करिए और संकल्प लीजिए…हे भगवती मैं…..( अमुक नाम)….सपरिवार…( अपने परिवार के नाम ले लीजिए…)…गोत्र.( अमुक गोत्र)….स्थान ( जहां रह रहे हैं)… पूरी निष्ठा, समर्पण और भक्ति के साथ आपका ध्यान कर रहा हूं। हे भगवती आप हमारे घर में आगमन करिए और हमारी इस मनोकामना… ( मनोकामना बोलें लेकिन मन ही मन) को पूरा करिए। श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ, जप ( माला का उतना ही संकल्प करें जितनी नौ दिन कर सकें) और यज्ञादि को मेरे स्वीकार करिए। इसके बाद धूप, दीप, नैवेज्ञ के साथ भगवती की पूजा प्रारम्भ करें।