योग मुद्राएं मन, बुद्धि और चेतना को जागरूक करने के लिए अदभुत चमत्कारिक लाभ देती हैं। इन्हीं योग मुद्राओं में से एक हैं शाम्भवी मुद्रा। इस मुद्र का अभ्यास करने वाले योगियों का कहना है कि इस मुद्रा से हमारी तीसरी आंख खुलती है जिसके द्वारा हम भविष्य के संकेतों को समझने में सफल होते हैं व इसके नियमित अभ्यास से डेल्टा तरंगें सक्रिय हो जाती हैं। इस मुद्रा में आखें खुली होती हैं लेकिन आप देख नहीं सकते। इस दौरान मस्तिष्क के बाएं और दाएं हिस्सों के बीच संवाद का तादात्म्य स्थापित होता है जिससे आप आंखे खुली होने पर भी किसी दूसरी जगह का नज़ारा देख सकते हैं व भावी घटनाओं के संकेत मिलते हैं। ये बहुत कठिन साधना है।
इस योग मुद्रा का विधि क्या है-
जो लोग त्राटक करते हैं उनके लिए ये मुद्रा करना थोड़ा आसान हो जाता है। सिद्धासन में बैठकर रीढ़-गर्दन सीधी रखते हुए पलकों को बिनां झपकाए किसी एक बिंदू की ओर देखते रहें लेकिन उस वस्तु की ओर ध्यान न हो, फिर आंखों को धीरे-धीरे ऊपर ले जाएं लेकिन आपका सिर स्थिर रहे। इस बीच आप अपने विचारों को भी नियंत्रित करने की कोशिश करें। सिर्फ और सिर्फ ध्यान करें। नियमित अभ्यास करने से ऐसा लगेगा जैसे दीमाग एक दम भीतर की ओर देख रहा है यानि आखें तो खुली हैं लेकिन कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। शुरुआत में इस मुद्रा में परिणाम नज़र नहीं आएंगे लेकिन जैसे-जैसे आप इसे नियमित व देर तक अभ्यास करेंगे वैसे ही अपने आप में बदलाव पाएंगे। इसे आप 3 से 6 मिनट तक कर सकते हैं।
इस मुद्रा के क्या लाभ हैं-
इस मुद्रा से आज्ञा चक्र जागृत होता है। इससे आंखों के स्नायुतंत्र मजबूत होता है। मन व मस्तिष्क शांत रहता है। तनाव दूर होता है। यह मुद्रा इतनी चमत्कारी है कि इसे करने से आंखें खुली रखकर भी आप सो सकते हैं और ध्यान का आनंद भी ले सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि ये मुद्रा आप किसी योगाचार्य की देख-रेख में ही करें, अपने आप किसी भी मुद्रा को करने का प्रयास न करें।