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Religion & Astrology: क्या आप जानते हैं बड़ों के पांव क्यों छूए जाते हैं ? इसके पीछे भी छूपे हैं वैज्ञानिक कारण, जानिए

सनातन धर्म में बड़ों के पांव छूकर सम्मान देने का रिवाज़ है, इसके पीछे मान्यता है कि किसी बुजुर्ग के पैर छूकर व्यक्ति के रूप में मौजूद आत्मा के पैर छूना, और हमारे धर्म में ये माना जाता है कि हरेक व्यक्ति के अंदर आत्मा के रूप में परमात्मा विद्यमान हैं, तो ऐसा करने से माना जाता है कि परमात्मा के चरणों को छूकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करना। ये परम्परा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है।

हमारे शास्त्रों के अनुसार तीन तरह के चरण स्पर्श माने गए हैं। घूटनों के बल, कमर से झुककर और लेटकर, जिसे साष्टांग प्रणाम कहा जाता है। एक हाथ से चरण स्पर्श करना गलत माना गया है। चरण स्पर्श करने के कई फायदे भी हैं, आईए जानते हैं।

चरण स्पर्श करके आप अपने से बड़ों का दिल तो जीत ही सकते हैं लेकिन यदि आप पूरी श्रद्धा के साथ नतमस्तक होकर बड़ों के चरण छूते हैं तो विनम्रता आती है और मन को शांति मिलती है।

जब किसी बुजुर्ग या आदरणिय व्यक्ति के पांव छूते हैं तो वो सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते हैं और हमारा हाथ उनके चरणों को स्पर्श कर रहा होता है ऐसे में माना जाता है कि पूजनीय व्यक्ति के हाथों से पॉजिटिव एनर्जी हमारे शरीर में प्रवेश करती है।

शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति रोज़ अपने बड़ों के पांव छूता है उसके ग्रह कभी नैगेटिव इफेक्ट नहीं करते बल्कि उसे आयु, विद्या, यश, बल की प्राप्ति होती है।

इसका वैज्ञानिक पक्ष भी आप समझ सकते हैं: न्यूटन के नियम के अनुसार, दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हुई हैं, साथ ही गुरुत्व भार हमेशा आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है। हमारे शरीर पर भी यही नियम लागू होता है, जैसे सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है। इसका मतलब यह हुआ कि गुरुत्व ऊर्जा या चुंबकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है, यानी शरीर में उत्तरी ध्रुव (सिर) से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव (पैरों) की ओर प्रवाहित होती है। दक्षिणी ध्रुव पर यह ऊर्जा असीमित मात्रा में स्थिर हो जाती है। पैरों की ओर ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने को ही हम ‘चरण स्पर्श’ कहते हैं।

इसका एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है कि जिन लक्ष्यों की प्राप्त‍ि को मन में रखकर बड़ों को प्रणाम किया जाता है, उस लक्ष्य को पाने में बल मिलता है।

इसे एक प्रकार का सूक्ष्म व्यायाम भी कह सकते हैं। पैर छूने से शारीरिक कसरत होती है। झुककर पैर छूने, घुटने के बल बैठकर प्रणाम करने या साष्टांग दंडवत से शरीर लचीला बनता है।

ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि सिर्फ उन्हीं के चरण स्पर्श करने चाहिए, जिनके आचरण भी अच्छे हों, क्योंकि ‘चरण’ और ‘आचरण’ के बीच भी सीधा संबंध होता है।