कई बार ऐसा समय भी आता है जब परिस्थितियां हमारे अनूकूल नहीं होती, हम चारों ओर से घिर जाते हैं और जीवन में एक अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो जाती है। ये बदलाव हमारी ज़िंदगी में किसी के चले जाने से, दर्दनाक दुर्घटना से, किसी अपने की मृत्यु से, कोई लंबी बीमारी से जूझने से या अपनों से धोखा मिलने से आते हैं। ऐसे में भावनात्मक परिवर्तन होने के साथ-साथ कई बार सामाजिक, भौतिक व वित्तीय मामलों में भी बदलाव आ जाते हैं। तब ये समझ नहीं आता कि क्या करें और क्या न करें?
एक वक्त ऐसा भी आता है कि जब कोई भी अपने आप को असहाय समझने लगता है। ये ज़िदगी बोझ बन जाती है, और आगे कोई रास्ता नज़र नहीं आता। भीड़ में भी घुटन का अहसास होता है, यूं लगता है मानों, शरीर से आत्मा ही बाहर निकल गई हो। आप बेसुध होकर एक कमरे में पड़े रहते हों। आपके मन में चल रहे विचार मानो समुद्र की लहरों की तरह मुड़-मुड़कर लौटकर आ रहे हों।
यही वो वक्त है जब आपको धैर्य और बुद्धि से काम लेना है। आपको कोई और संभालने नहीं आएगा खुद ही अपने आप को संभालना होगा। आपको ऐसे वक्त में अपने लिए सुनहरी अवसर तराशने होंगे। सबकी ज़िंदगी में कुछ देर के लिए ऐसा समय आता है जब हमें यूं लगता है कि परिस्थितियां मानों बदलने का नाम तक नहीं ले रही हैं। ऐसे में आपको चाहिए कि अपना ध्यान सकारात्मकता की ओर ले जाएं। अपने आप को और भी सक्षम बनाने की कोशिश करें। अपनी कमियों को दूर करें। अपनी कमज़ोरियों की बजाए अपनी मजबूतियों पर अपना ध्यान फोकस करने की कोशिश करें। सकारात्मक लोगों के साथ वक्त बिताएं, प्राकृति में समय बिताएं, कोई अच्छी पुस्तक पढ़ें, अपनी रूची का संगीत सुनें।
उन लोगों से दूरी बनाएं जो आपको नकारात्मक विचारों की ओर ले जाते हों क्योंकि ऐसे लोग आपके जोश को ठंडा कर देते हैं। जबकि आपको ऐसे गुणी और सकारत्मक लोगों को तराशना चाहिए जिनसे मिलकर आपको कुछ अच्छा सोचने-समझने की शक्ति मिले। मेडीटेशन व मंत्रोच्चार करें इससे मन को शांति मिलती है। अपने खाली वक्त में कुछ क्रीएटिव करने की कोशिश करें।
एकांत में बैठकर सोचने से आपको कुछ नहीं मिलने वाला जाइए कहीं घूमकर आइए। अपने किसी अच्छे और पुराने मित्र से मिलकर आइए। जब आप खुश होंगे तो आप विपरीत परिस्थितियों में भी नए सुनहरी अवसर ढूंढ लेंगे, दूसरों को माफ कर देने की भावना रखेंगे, अपना मनोबल नहीं तोड़ेंगे, और जब आपका मनोबल इतना मजबूत होगा तब आपके रास्ते में आ रही तकलीफें सुख और खुशी में तब्दील हो जाएंगी।
संपादक- मनुस्मृति लखोत्रा
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