आप जानते हैं न हमारे लिए सबसे बेशकीमती तोहफा है हमारी ज़िंदगी। इस बेशकीमती तोहफे के साथ हमें कुछ और तोहफे भी मिले हैं जो हमारे लिए वरदान हैं, लेकिन ज़िंदगी के बाद और कौन से ऐसे तोहफे हैं जिनसे ईश्वर ने हमें नवाज़ा हैजिस वजह से मनुष्य है सर्वश्रेष्ठ! आईए जानते हैं।
ईश्वर ने ज़िंदगी के साथ कई चमत्कारी व अविश्वस्निय वरदान भी तोहफे के रूप में दिए हैं। उनमें से सबसे बड़ा वरदान दिया है बुद्धि। वैदिक विचारधारा के अनुसार भी बुद्धि को मनुष्य के लिए सर्वश्रेष्ठ वरदान माना गया है। बुद्धि के द्वारा ही मनुष्य ने सारे जग पर राज किया है व ब्रह्माण्ड तक को खंगालने लगा है। मनुष्य का दिमाग ही इस संसार में तरक्की का साधन है। हमारे अंदर सोच जब उत्पन्न होती है तो दिमाग उसको सार्थक करता है, सफल करता है, और एक नए निर्माण का आरंभ करता है।
कई ऐसे जानवर हैं जो शरीर से अधिक बलवान होते हुए भी मनुष्य के अधीन हैं। याद रखें कि जब सर्वशक्तिमान ईश्वर किसी पर कृपा करता है तो उस व्यक्ति की बुद्धि के बल पर ही उसे देता है वह स्वयं आकर उसके काम नहीं करता और जब किसी का सर्वनाश करता है तो उस व्यक्ति का विनाश करने खुद शस्त्र लेकर मारने नहीं आता बल्कि उसकी बुद्धि भ्रष्ट कर देता है तभी तो वो खुद अपने पतन के रास्ते चलकर ऐसे कार्य कर देता है जिसका उसने स्वयं भी कभी सोचा नहीं होता। तभी तो कहते हैं न “विनाशकाले विपरीत बुद्धि”।
मनुष्य के दुखों का कारण क्या है? दुख आता कैसे है ? देखा जाए तो ये भी बुद्धि के ही कारण है। ज़रा सोचिए कि अगर हमें किसी की वजह से परेशानी है या हमारा कोई काम नहीं बन रहा, जीवन में उन्नती नहीं मिल रही या फिर किसी ने हमें धोखा दिया। तो क्या इन सब दुखों या परेशानियों के पीछे किसी का हाथ है? या फिर ईश्वर या हमारी किस्मत ने हमारे साथ ऐसा किया? हम ईश्वर या अपनी किस्मत को क्यों कोसते हैं? क्या कहीं कोई ऐसा कारण नहीं रहा होगा जब उस परेशानी की जड़ को हमने अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल न करके पैदा किया और आज हमें लगता है कि भगवान ने मेरे साथ ऐसा किया, क्योंकि बुद्धि और विवेक से किया हुआ कोई भी कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता। देरी हो सकती है लेकिन सयंम रखें तो अच्छा वक्त आने में देर नहीं लगती।
सदगुणों की राह पर चलकर ही हमारी बुद्धि और दिमाग हमेशा अच्छा सोचते हैं और हमारे लिए अच्छी परिस्थितियां भी उत्पन्न करते हैं। आप किस तरह से सोचते हैं ? आप क्या चाहते हैं ? आपका व्यक्तित्व कैसा है ? आपको क्या करना चाहिए ? अगर आपकी सोच अच्छी होगी। आप परोपकारी होंगे। तो आप दूसरों के लिए भी अच्छा सोचेंगे। दूसरों की गलती पर उसे माफ करने का साहस रखेंगे, तो यक़ीनन आपकी बुद्धि आपका भी सही मार्गदर्शन करेगी और आपके दीमाग का भी वैसा ही विकास होगा। आप तेजस्वीं और ज्ञानी व्यक्ति बनेंगे, क्योंकि ज्ञान प्राप्ति के लिए बुद्धि आवश्यक है और आन्नद प्राप्ति के लिए ज्ञान का होना आवश्यक है।
संपादकः मनुस्मृति लखोत्रा
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