Religion & Faith: जब भी गौमाता आपके द्वार आकर मां कहकर पुकारे तो उन्हें कुछ खिलाएं ज़रूर…!

गाय कितना ही प्यारा, शांत व सौम्य पशु है......गाय की दिव्यता के बारें में जितनी बात की जाए उतनी ही कम है। आपने भी देखा होगा....गाय जब भी घर के…

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Way to Spirituality: कौन कहता है कि भगवान आपको सुन नहीं रहे हैं? मेरी मानिए एक बार पुकार कर तो देखिए…!

हम कितने ही आराम से कह देते है न कि भगवान मेरी नहीं सुनता...वो तो आंखे बंद करके बैठा है....मेरी मानों तो उन्हें एक बार सच्चे दिल से पुकार कर…

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Happiness is free: दोस्ती में हर बार SORRY से काम नहीं चलेगा, उन्हें गंभीरता से लें…!

कहते हैं दोस्ती में SORRY और THANKS की कोई गुंजाईश नहीं होती लेकिन कईबार ज्यादा SORRY कहना भी भारी पड़ जाता है, दरअसल किसी भी गलती पर सॉरी कह देना…

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Happiness is Free: बहुत हद तक ये आप पर निर्भर करता है कि ज़िंदगी के प्रति आपका नज़रिया कैसा है ?

बहुत कुछ हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम कुछ न होते हुए भी क्या  पा सकते और बहुत कुछ होते हुए भी क्या खो देते हैं। ऐसा ही…

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Janmashtami Special: “सम्भवामि युगे युगे”…

#सम्भवामि_युगे_युगे_02 "जब संसार दु:खों और तकलीफ से चित्कार करता हुआ ---आर्त्तनाद करते हुए प्रकट या अप्रकट रूप से ' त्राहि माम् ! त्राहि माम् ! ' करने लगता है (…

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Janmashtami Special: क्या है श्रीकृष्ण का कर्मयोग अर्थात कर्म में योग !

कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् | जीवन में जितनी संपत्ति बढ़ती है उतना खालीपन भी बढ़ता है। आज आधुनिक मानव की सुविधाओं का स्तर बढ़ गया है । पर क्या मानव सुखी…

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Religion & Faith : भगवान श्री कृष्ण कैसे दिखाई देते थे ? उनके आकर्षण में वो कौन सी बातें थीं जिससे हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता था, जानिए !

कहते हैं कि जो कोई भी कान्हा के रंग में रंग जाता है फिर उसे संसार में किसी और चीज़ की इच्छा ही नहीं रहती। उनकी लीलाओं का बखान सुनते…

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Religion & Faith: सम्भवामि युगे युगे “जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष”

संकलयिता - राय यशेन्द्र प्रसाद  #सम्भवामि_युगे_युगे_01  " पूरयमाण  परम आचार्य गुरू-पुरुषोत्तम या परम स्व॒तःसंत या तथागत का आविर्भाव  किसी बँधे स्थान या प्रथा के द्वारा होगा ऐसी कोई बात नहीं; विशेष कोई जाति…

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Way to Spirituality: जिनकी परख स्वयं ईश्वर करते हैं चुनौतियां भी उन्हीं को ज्यादा मिलती हैं ! तो फिर घबराते क्यों हैं ?

दुख-तकलीफें सबकी ज़िंदगी में आती-जाती रहती हैं, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसकी ज़िंदगी में तकलीफें कभी आयीं ही न हों, हां ये हो सकता है किसी की ज़िदगी में कम…

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Independence Day Special: “विजय ध्वजा” इस कविता की रचना ठीक 15 अगस्त 1947 के दिन हुई थी…

कवि परिचय : बिहार के गोपालगंज एवं सारण क्षेत्र के इस प्रसिद्ध व्यक्तित्व एवं ख्याति-प्राप्त वकील का जन्म सिवान जिले के जीरादेई के निकट भटकन ग्राम में 20 जून 1903…

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