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Way to Spirituality: मन को यदि समझें तो ये हमारे भीतर सबसे शक्तिशाली उपकरण है, कैसे ? जानिए

अध्यात्म डैस्कः मनुष्य जीवन में मन एवं मस्तिष्क सबसे शक्तिशाली ऐसे उपकरण हैं यदि इनका सही-सही उपयोग किया जाए तो हम क्या नहीं कर सकते? यदि केवल मन की ही बात करें तो शरीर, दिमाग, भावनाओं और विचारों को संचालित करने वाला मन ही तो है जिसमें अनेक शक्तियां निहित हैं। हमारी आंखें सिर्फ देख सकती हैं, कान केवल सुन सकते हैं, नाक केवल सूंघ सकता है, जीभ केवल स्वाद ले सकती है, त्वचा केवल स्पर्श कर सकती है लेकिन एक हमारा मन ही ऐसा है जो हर चीज़ महसूस, देख, सुन व समझ सकता है यानी सभी इंन्द्रियों की शक्तियां मन में ही निहित है। मन कभी एक ही बात पर टिककर नहीं रहता..एक-एक पल में एक व्यक्ति के मन में ढेरों विचार आते-जाते रहते हैं। विद्युत की गति से भी तेज़ दौड़ने वाला व दसों इंद्रियों का राजा कहा जाने वाला मन इतनी तीव्रता से इधर-उधर दौड़ता है कि जिसे काबू कर पाना बेहद मुश्किल कार्य है।

श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि जो लोग अपने मन पर नियंत्रण नहीं करते, उनका मन शत्रु के समान कार्य करता है। मन पर नियंत्रण बहुत जरूरी है अन्यथा बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मन तो चंचल है, इसे वश में करना वायु को वश में करने के समान है, परंतु से अभ्यास व वैराग्य के द्वारा वश में किया जा सकता है।

मन असल में एक आईने की तरह होता है जैसे आईना यदि साफ न हो तो हम उसमें अपनी छवि साफ नहीं देख सकते ठीक वैसे ही मन यदि मैला हो तो अपने भीतर की अच्छाईयों को नहीं देखा जा सकता। जब अभ्यास व वैराग्य द्वारा उसे शुद्ध कर लिया जाता है तो ईश्वर का साक्षात्कार हो जाता है। लेकिन कुछ ऐसे कर्म हैं जिससे मन को शुद्ध किया जा सकता है- वे हैः- ध्यान, शास्त्रों का अध्ययन, यज्ञ, दान, जप, तप, दया, करुणा, सत्य की राह चलना, निष्कान कर्म करना, वेदाध्ययन, ब्रह्मचर्य, सत्संग, तीर्थयात्रा आदि कुछ ऐसे कर्म है जो व्यक्ति को काम, क्रोध, लोभ, मोह-माया से दूर रखते हैं व मन को शुद्ध करते हैं और जिस दिन शरीर के सबसे शक्तिशाली उपकरण यानी मन की शुद्धी हो गई तो फिर समझ लेना आपको किसी और चीज़ की आवश्यकता नहीं रहेगी।

संपादक- मनुस्मृति लखोत्रा

Image courtesy:- Pixabay