ईश्वर ने हमारे अंदर ऐसे सॉफ्टवेयर्स फिट किये हैं जिनके माध्यम से हम जो चाहे प्राप्त कर सकते हैं, ऐसा मैं नहीं कह रही हूं हमारे महापुरुषों, ऋषि, मुनियों का कहना है और जहां तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात है तो वैज्ञानिक भी विज्ञान के नज़रिए से सब-कॉन्शियस माइंड को सबसे पावरफुल मानते हैं अतः जिसे मैं ईश्वर की तरफ से दिया गया एक अदभुत सॉफ्यवेयर मानती हूं। आप सब भी सब-कॉन्शियस माइंड की शक्तियों के बारे में कई बार पढ़ चुके होंगे।

यदि आध्यात्मिक तौर पर बात करें तो आप ध्यान, योग, जप-तप, तंत्र-मंत्र, कुण्डलिनी शक्ति के जागरण द्वारा प्राप्त की गई ताकत एवं अदभुत चमत्कारों के बारे में भी कई बार सुन चुके होंगे। ये सब सुनी सुनाई बातें नहीं है बल्कि वैज्ञानिक, मनोविज्ञानिक व आध्यात्मिक नज़रिए से भी सिद्ध हो चुकी बातें हैं। इन्हें ही हम ईश्वर द्वारा प्राप्त सॉफ्यवेयर्स कह सकते हैं जो हमें मनुष्य जीवन में जन्म के साथ ही उपहार के तौर पर मिलते हैं।
क्या कभी आपने ये सोचा है कि मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है ? आपने इस बारे में कई बार कई मान्यताएं, विचार, हमारे महापुरुषों द्वारा दिए गए कई सूविचार, हमारे वेद एवं ग्रंथों में लिखी मनुष्य जन्म को लेकर कई ज्ञान की बातें इत्यादि द्वारा कुछ इस प्रकार सुना होगा कि हमारा जन्म ईश्वर की प्राप्ति के लिए हुआ है, या हम अपने कर्मों का फल भोगने या दंड पाने इस धरती पर जन्म लेते हैं या फिर मनुष्य जीवन ही एक ऐसा जीवन है जिसे हम 84 लाख योनियों को भुगतने के बाद पाते हैं और इसी जीवन द्वारा हम 84 लाख योनियों के चक्कर से छुटकारा भी पा सकते हैं, अपने अच्छे कर्मों से हम ईश्वर की प्राप्ति कर सकते हैं आदि। इन विचारधाराओं को कहीं न कहीं हम मानते भी हैं और उनका पालन भी करते हैं।
अब फिर मैं उसी बात पर लौटती हूं कि मानव जीवन का उद्देश्य क्या है ? मेरे ख्याल से मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य अपनी आत्मिक शक्तियों व चेतन तत्व का विकास करना है। मैं ऊपर इस विषय में बात कर चुकी हूं कि हमारे अंदर ईश्वरीय गुण विद्यमान है यानि एक ऐसा अदभुत सॉफ्टवेयर जिसकी क्षमता का अनुमान लगाए बिना या उसकी क्षमताओं का इस्तेमाल किए बिना हीं लगभग 90 प्रतिशत लोग दुनियां से ऐसे ही विदा हो जाते हैं, जिन्हें खाना, पीना, सोना, कमाना, आराम करना या भोगी होना आदि क्रियाओं के अलावा कुछ और पता ही नहीं होता। उन्हें अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक भी ये अंदाज़ा नहीं रहता कि वह पूरी ज़िंदगी क्या-क्या नहीं कर सकते थे? या क्या करना चाहिए था?, जो वे नहीं कर पाए और अब आखीर में वो क्या कर सकते हैं ?
तो क्यों न हम अपने चेतन तत्व, आत्मिक शक्तियों व क्षमताओं का विकास करें। जो व्यक्ति मनुष्य जीवन धारण करके अपनी आत्मिक शक्तियों का विकास नहीं करता, अपने चेतन तत्व को नहीं जान पाता या कह लीजिए अपनी आत्मा के नज़दीक नहीं पहुंचता वह व्यक्ति न तो इस संसार में ही शांति को पाता है और न ही मरने के पश्चात उसे कहीं शांति मिल पाती है। इसलिए अपने जीवन में सुख और शांति पाने के लिए आपको किसी ओर के पास जाने की ज़रूरत नहीं बल्कि हमारी आत्मा ही पूर्ण शांति और सुख का भंडार है।
हम सुख व शांति पाने के लिए अपने घर में सभी सुख सुविधाओं का इंतज़ाम करते हैं, सोचते हैं कि एक बड़ा सा घर हो, आराम के सभी साधन हो, लग्ज़री गाड़ी हो आदि लेकिन ये चीजें तो जड़ है न ? हां ये हो सकता है कि एसी, फ्रिज आपको गर्मी से निजात दे सकते हैं, गाड़ी आपका सफर आरामदायक बना सकती है, आपका कंफर्ट और आपका स्टेट्स बढ़ा सकती है लेकिन क्या ये सब ऐशो आराम के साधन आपसे बात कर सकते हैं ? क्या आपका सुख-दुख सांझा कर सकते हैं? क्या, अंत समय में भी आपके साथ जा सकते हैं? नहीं, ये सब जड़ है। ये सब साथ नहीं जाएंगे और न ही ऊपर जाकर भगवान आपसे ये हिसाब मांगने वाले हैं कि आपने पूरी ज़िदगी कितने पैसे कमाए या कितनी प्रॉपर्टी थी आपके पास, आपसे तो बस आपके अच्छे कर्मों का हिसाब मांगा जाएगा, और पूछा जाएगा कि हां आपको हमने मनुष्य योनि में इतने समय के लिए भेजा था, आपने कौन से अच्छे कर्म किए? आपने ऐसा क्या किया कि आपको जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिले ? हमने जो गुण आपको दिए थे उनसे कितनों का भला किया? आदि। तो फिर आपके पास क्या जवाब रहेगा ? इसपर जरा सोचना ज़रूर।
हम भूल करके संसार के विषयों में सुख ढूंढते हैं, लेकिन संसार के विषयों में सुख कहां ? भटकाव तो फिर भी है, वो सब तो जड़ हैं। भला जड़ पदार्थों में सुख कभी मिलता है ? जबकि सुख हमारे अंदर गुण रूपी चेतन पदार्थ है, जबकि विषय जड़ हैं, तो भला जड़ पदार्थ हमें कैसे सुख या दुख देगा, जो वस्तु स्वयं ही क्षणभंगुर है, वह हमें शाश्वत शांति कैसे देगी? मान लीजिए अगर अभी भूंकंप आ जाए और देखते ही देखते आपके सब सुख-सुविधाओं के सामान ढह जाएं व टूट जाएं तो क्या होगा ? वो तो क्षणभंगूर है न ? लेकिन आपके गुण आपकी आत्मा की एक ऐसी विरासत है जो मरते दम तक आपके साथ ही रहेगी व इस लोक में ही नहीं परलोक जैसी अगर कोई चीज़ है तो वहां भी आपके काम आएगी और आपके जाने के बाद दुनियां भी आपको याद रखेगी। इसलिए हमारे पास जो अच्छे गुणरूपी, शुद्ध आत्मारूपी, अच्छे कर्मरूपी चेतन तत्व हैं उन्हें उच्छे रास्ते लगाएं और ईश्वर द्वारा हमें उपहार रूप में दिये हुए ध्यान, योग, जप-तप, गुण रूपी सॉफ्यवेयर्स हैं उनका इस्तेमाल करें देखना लाइफ कितनी सुखी व पोजीटिव हो जाएगी।
मनुस्मृति लखोत्रा